द्रोण कौरवों तथा पांडवों के गुरु जो प्राय: द्रोणाचार्य कहलाते हैं। यह भरद्वाज के पुत्र थे और द्रोणी में से उत्पन्न किए गए थे। इसी से इनका यह नाम पड़ा। इनका दूसरा नाम कूटज है। महाभारत मे ये कौरवों की ओर रहे और भीष्म की मृत्यु के बाद उनके सेनापति हुए। पांचाल के राजा द्रुपद ने इनका अपमान किया था और इन्होंने द्रुपद को बंदी बनाकर उसका आधा राज्य ले लिया था। सेनापतित्व के चौथे दिन इन्होंने द्रुपद का वध किया और द्रुपद के पुत्र घृष्टद्युम्न द्वारा युद्ध में स्वयं मारे गए। पर इनके साथ धोखा किया गया और लड़ते समय यह कहा गया कि इनके पुत्र की मृत्यु हो गई। इसी से इन्होंने घबराकर अस्त्रशस्त्र डाल दिया और द्रुपदपुत्र ने इनका सिर काट लिया।(रामाज्ञा द्विवेदी)