दौलतराव शिंदे जन्म १७८० ई. : मृत्यु १८२०। सन् १७९४ ई. में महादजी शिंदे की मृत्यु के पश्चात् उसका दत्त्क पुत्र दौलतराव १४ वर्ष की अपिरपक्व अवस्था में उसका उत्तराधिकारी बना। एक तो वह प्रकृति से उद्धत तथा अदूरदर्शी था; दूसरे नीम चढ़े करेले की तरह उसे कुसंगति भी बाजीराव जैसे धूर्त और शर्जाराव जैसे नृशंस व्यक्तियों की मिली। फलत: पारस्परिक विग्रह से प्रताड़ित महाराष्ट्र और भी द्रुतगति से पतनोन्मुख हुआ। पेशबा माधवराव की मृत्यु पर उत्तराधिकार के प्रश्न के लेकर नाना फड़निस, बाजीराव, शिंदे, तथा तथा होल्कर में पारस्परिक कुचक्र चल निकले। इसी समय दौलतराव, शर्जाराव जिसकी पुत्री बैजाबाई से उसका विवाह हुआ, के संपर्क में आया। दौलतराव, बाजीराव तथा शर्जाराव का गुट्ट बना। इन्होनें नाना फड़नवीस को बंदी बनाया तथा होल्कर की उत्तराधिकार समस्या में हस्तक्षेप किया। तज्जनित युद्ध में दौलतराव तथा पेशवा की समिलित सेना की यशवंतराव होल्कर द्वारा पूर्ण पराजय हुई। वयोवृद्ध राजनीतिज्ञ नानाफडनवीस की मृत्यु से महाराष्ट्र संघ पर रहा सहा नियंत्रण हट जाने के कारण उसका पतन अवश्यंभावी हो गया। द्वितीय आंग्ल-मराठा-युद्ध में अंगरेजों द्वारा परास्त हो दौलतराव सुर्जीअर्जन गाँव की संधि करने के लिए विवश हुआ, जिससे उसके राज्य का यथेष्ट भाग अँगरेजों को समर्पित हुआ। अंतिम आंग्ल-मराठा-युद्ध के पूर्व लार्ड हेस्टिग्ज ने कूटनीति द्वारा दौलतराव को पिंडारियों से विलग कर, उसके विरुद्ध सहायता प्रदान करने के लिए मजबूर किया, जिससे उसकी शक्ति क्षीणतर हो गई। युद्ध में महाराष्ट्र साम्राज्य के ही विध्वस्त हो जाने के कारण, दौलतराव पंगुशक्ति रह गया। १८२० में उसकी मृत्यु हो गई।

सं.ग्रं.- १. हिस्ट्री ऑफ दि मराठाज - ग्रांट डफ; २. दि न्यू हिस्ट्री ऑव दि मराठाज - जी.एस. सरदेसाई; ३. पूना रेजिडेन्सी करेस्पांडेंस वॉल्यूम क्ष्क्ष्क्ष्; ४. दौलतराव सिंधिया ऐंड नॉर्दर्न इंडियन अफेयर्स (१७९४-१७९९) - एडिटेड बाई डा. जदुनाथ सरकार; ५. दौलतराव सिंधिया ऐंड नार्दर्न इंडियन अफेयर्स - एडिटेड बाई डा. रघुबीरसिंह; फाल ऑव दि मुगल एंपायर - डा. जदुनाथ सरकार; मराठा अणि इंग्राज - एन.सी. केलकर।(राजेंद्र नागर)