दौलत खाँ लोदी सुल्तान इब्राहीम लोदी के समय में पंजाब का सूबेदार था। कुछ अन्य अफगान सरदारों की भाँति यह भी सुल्तान के कठोर शासन का विरोधी था। इसने अपने पुत्र दिलावर खाँ को बाबर से सैनिक सहायता प्राप्त करने के लिए काबुल भेजा था। सन् १५२४ ई में लाहौर पहुँचकर बाबर ने इब्राहीम की सेना को परास्त किया। उस समय दौलत खाँ मुल्तान से चलकर दीपालपुर पहुँचा और बाबर से भेंट की। बाबर ने लाहौर में अपने पदाधिकारी रखकर कुछ छोटे महत्वहीन स्थान दौलत खाँ के सुपुर्द किए। असंतुष्ट होकर दौलतखाँ आलम खाँ से जा मिला। दोनों ने मिलकर ४० हजार सैनिक एकत्र कर सन् १५२५ ई. में दिल्ली पर धावा बोल दिया किंतु इब्राहीम ने इन्हें बुरी तरह परास्त किया। सुअवसर देखकर बाबर ने भारत पर फिर चढ़ाई की और २० अप्रैल, सन् १५२६ को पानीपत में विजय प्राप्त की। इस प्रकार आपसी फूट के कारण लोदी वंश का पतन हुआ और भारत में मुगलों का शासन प्रारंभ हुआ।