दोजख फारसी का शब्द है, जो हमारी भाषा में अरबी शब्द जहन्नुम का पर्याय है। जहन्नुम शब्द कुरान शरीफ में बार बार आया है, जिसका अर्थ एक ऐसे स्थान से है जहाँ आग ही आग है। मुसलमानों के विश्वास के अनुसार जो जोग इस संसार में न खुदा को मानते हैं और न उनके आदेशो के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करते हैं प्रत्युत खुदा के सिवा दूसरे देवताओं की पूजा करते हैं, वे मरने के अनंतर परलोक में दंड के रूप में दोजख में डाले जाएँगे और अनेक प्रकार के कष्ट उठाएँगे। कुछ का विचार है कि यह दंड सर्वदा के लिए न होगा प्रत्युत एक निश्चित काल के लिए होगा। इस दंड को भुगतने के अनंतर खुदा उन्हें क्षमा करके दोजख से निकालकर दूसरे स्थान में भेज देगा, जो एराफ के नाम से प्रसिद्ध है।
हिंदी भाषा में दोज़ख को नरक कहते हैं जिसे देखिए।
सं.ग्रं.- एनसाइक्लोपीडिया ऑव इस्लाम, प्रथम संस्करण।
(अमजद अली )