देवदत्त सुपब्बुध (सुप्रबुद्ध) का पुत्र देवदत्त बुद्ध का समकालीन था तथा बुद्ध से दीक्षित होकर बौद्धसंघ में शामिल हो गया था। प्रारंभ में बौद्धधर्म के प्रति उसकी बड़ी आस्था थी और अल्प अवधि में ही उसक ी गणना बुद्ध के प्रमुख 'एकादश शिष्यों' में होने लगी। किंतु कालांतर में वह बुद्ध का प्रतिद्वंद्वी हो गया और उसने अजातशत्रु से मिलकर बुद्ध के प्राणघात के लिए कई षड्यंत्र किए। उसने संघभेद की भी चेष्टा की तथा बुद्ध की प्रतिद्वंद्वीता में गया में अपने समर्थक ५०० भिक्षुओं का एकत्र कर नए बौद्धसंघ की स्थापना की; किंतु बुद्धशिष्य मोग्गलान ने उसके संघ का विघटन कर दिया। (बलराम श्रीवास्तव)