देवधर स्थिति : २४रू ३०फ़ उ.अ. तथा ८६रू ४२फ़ पू.दे.। यह पूर्वी बिहार में संथाल परगना जिले में भागलपुर से ५५ मील दक्षिण में, पूर्वी रेलवे लाइन से चार मील दूर पूर्व में स्थित नगर है। यातायात एवं व्यापार की दृष्टि से इसका केंद्रीय महत्व है। यहाँ चावल, मक्का, बाजरा, जौ, तिलहन, सरसों आदि का व्यापार होता है। इसके पास ही कोयले की खानें हैं। अत: भारत के चारों कोनों से तीर्थयात्री आते हैं। यहाँ के प्रसिद्ध, प्राचीन वैद्यनाथ मंदिर में शिव जी के १२ प्रसिद्ध लिंगों में से एक लिंग है। मंदिरों का समूह चुनार से लाए गए पत्थरों से बनी एक बड़ी दीवार से घिरा है। यहाँ पर तीन मंदिर महादेव जी के तथा तीन मंदिर पार्वती जी के हैं, जो ऊपर ही ऊपर रेशमी रस्सों द्वारा एक दूसरे से संबद्ध हैं। अंग्रेजों ने देवधर को देवगढ़ के नाम से भी संबोधित किया है। यहाँ बौद्धकालीन खंडहर भी हैं। हिंदी के प्रचार के लिए प्रसिद्ध संस्था हिंदी विद्यापीठ है जो प्रयाग के अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन की भाँति अपनी साहित्यभूषण और साहित्यालंकार परीक्षाएँ संचालित करती है। यहाँ की जनसंख्या ३५,१०५ (१९६१) थी।(कृष्णमोहन गुप्त)