देल्फी प्राचीन ग्रीस का एक नगर जो अपोलो की भविष्यवाणियों के लिए विख्यात था। यह पारनैसस पहाड़ी पर समुद्रतल से २,००० फुट की ऊँचाई पर स्थित था। ग्रीस के पौराणिक विश्वासों के अनुसार यह संसार का केंद्र माना जाता था।

लोकमत के अनुसार यहाँ अपोलो के मंदिर में, जो प्रकाश, काव्य और संगीत का देवता था, तथा जो समा को ईश्वर के विधान से अवगत कराता था, एक चट्टान की दरार से विचित्र उत्तेजक वाष्प निकला करती थी। एक याजिका (पाइथिया या पाइथोनेस) लाँरेल के पत्तों को खाकर और कैसेटिस नदी का पानी पीकर वाष्प-रध्रं के ऊपर तिपाई पर बैठ जाती थी, और समाधि की अवस्था में अंतर्लीन हो जाती थी। उस समय वह जो कुछ बोलती थी, उसे अपोलो के वाक्यों के रूप में ग्रहण किया जाता था। यह कथा कहाँ तक सत्य है, कह नहीं सकते, क्योंकि खुदाई से किसी भी रध्रं या वाष्प-स्त्रोत आदि का पता नहीं चला है।

देल्फी माइसीनियाई युग (१४०० ई.पू.) में संस्कृति और सभ्यता के शिखर पर था। अपोलो का प्रभाव ८वीं शती ई.पू. तक स्थापित हो चुका था। कहा जाता है कि एकाध शती आगे चलकर इस प्रभाव ने यह रूप लिया कि राज्य (ग्रीस) के सामाजिक, राजनीतिक और सैनिक प्राय: सभी मामलों पर अपोलों का सहारा लिया जाता था। ५९० ई.पू. में देल्फी और क्रिसा के मध्य चूँकि क्रिसा देल्फी के यात्रियों से कर वसूल करता था - धर्मयुद्ध ठन गया। क्रिसा पराजित हुआ, उसे अपनी भूमि अपोलो के नाम पर अर्पित करनी पड़ी। ऐतिहासिक विवरणों से यह पता चलता है कि ७वीं ६ठी शती ईसा पूर्व लीडिया पर इसका विशेष प्रभाव था। वहाँ के शासक अपोलों को उपहार के रूप में बहुत सा द्रव्य दिया करते थे। फारस के आक्रमण के समय देल्फी में सक्रियता नहीं आई, फिर भी ग्रीस की विजय (४७९ ई.पू.) के बाद भी इसका प्रभाव स्थिर रहा। पेलोपोनेशियाई युद्ध (४३१-४०४ ई.पू.) में देल्फी ने स्पार्टा का पक्ष लिया, और एथेंस के आत्मसमर्पण के पश्चात् स्पार्टा ने इसे बहुत सा धन दिया। ३५६ ई.पू. में फोसियनों ने देल्फी पर अधिकार कर लिया, किंतु मकदूनिया के फिलिप द्वितीय ने उन्हें वहाँ से उखाड़ फेंका। ३०० ई.पू. में ईटोलियाई संघ ने इस पर अधिकार किया, अंततोगत्वा १९१ ई.पू. में रोमनों ने इसे छीन लिया। रोमनों के आधिपत्य में अपोलो की मान्यता समाप्त हो गई। ३९० ई.पू. में ही थियोओसियस प्रथम ने अपोलो की भविष्यवाणी की परंपरा पर रोक लगा दी थी। ईसा के बाद की चौथी शती तक देल्फी का प्रभाव अत्यंत क्षीण हो गया।

१८९२ में हुई खुदाई से देल्फी के वैभव के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। अपोलो देवता का प्रासाद, जिसका क्षेत्रफल २०,००० वर्ग गज है, तीन ओर से देल्फी नगर से घिरा हुआ है। प्रासाद के मध्य में अपोलों का मंदिर था, और आसपास उपहार से प्राप्त द्रव्य को संचित करने के लिये अनेक कोषागार थे। अनुमान है कि अपोलो का प्राचीन मंदिर लगभग ५४८ ई.पू. में नष्ट कर दिया गया था। द्वितीय मंदिर, जिसका वर्णन यूरीपिदीज ने आयन में किया है, ३७३ ई.पू. भूकंप से ध्वस्त हो गया। अंतिम मंदिर को भी आर्केदियस ने ४०० ईसवी में मिटा दिया।

सं.ग्रं.- एंसाइक्लोपीडिया अमेरिकाना, (न्यूयार्क १९५६); बुक ऑव नालेज (द वेवर्ली बुक कंपनी, लंदन); कोलियर्स एंसाइक्लोपीडिया (न्यूयार्क, १९५६); द वर्ल्ड बुक एंसाइक्लोपीडिया (शिकागो, १९५६)।

(चारुचंद्र त्रिपाठी)