दुष्यंत भरत उर्फ सर्वदमन के पिता चंद्रवंशीय ऐतिराजा के पुत्र। भागवत में इन्हें रैभ्य का, विष्णु तथा हरवंश में तंसु का और महाभारत में ईलिन का पुत्र बताया गया है। इस प्रकार इनके पिता तथा माता के विषय में पुराणकार एकमत नहीं हैं। ब्रह्मपुराण के अनुसार ये तुर्वसुवंशीय मरुत की कन्या संयता और सवर्त के पुत्र थे।

दुष्मंत, दु:षंत आदि इनके कई नाम पुराणों में प्रसिद्ध हैं। मत्स्य पुराण में दुष्यंत को ही भरत दौष्यंति कहा गया है।

मृगया के लिए वन में विचरण करते हुए कण्व ऋषि के आश्रम में जब इन्होंने शकुंतला को देखा तो उसके अलौकिक सौंदर्य पर मुग्ध होकर उससे गंधर्व विवाह कर लिया। कालिदास लिखित शकुंतला नाटक से महाभारतवाली दुष्यंत विषय कथा भिन्न है। दुर्वासा के शाप की कल्पना नाटकलेखक की अपनी है और उन्होंने शकुंतला का परम संभ्रांत चित्र खींचा है, यद्यपि महाभारत में उसके मुँह से दुष्यंत को बहुत से अपशब्द कहलाए गए हैं। इनका दूसरा नाम दुष्यंत भी है और शकुंतला के गर्भ से उत्पन्न इनके पुत्र भरत के ही नाम पर हमारे देश का नाम भारत अथवा भारतवर्ष पड़ा है। हरिवंश पुराण में दुष्यंत को महाराजा सुरोध उपदानवी का पुत्र लिखा गया है।

(रामाज्ञा द्विवेदी)