दुर्गापुर इस्पात कारखाना बंगाल के वर्धमान जिले में पूर्वी रेलवे के स्टेशन के निकट ग्रैंड ट्रंक रोड के उत्तर में, इस्पात का एक बड़ा कारखाना ग्रेट ब्रिटेन के सहयोग से स्थापित हुआ है। इस्पात निर्माण का कार्य यहाँ १९६० ई. से शुरू हुआ और १९६३ ई. से उत्पादन क्षमता के अनुसार इस्पात का निर्माण होने लगा है। विभिन्न वर्षों में हुए उत्पादन के आँकड़े इस प्रकार हैं :
१९६० |
१९६१ |
१९६२ |
१९६३ |
१९६४ अक्टूबर तक |
|
कोक (नम) |
४,२७,४९६ |
६, १८,८१९ |
१२,७४,००३ |
१५,६३,०७७ |
११,४७,२८५ |
लोहा |
३,४३,९२३ |
७,२१,३१२ |
९,५७,६८० |
१३,०३,७५१ |
११,१४,९३६ |
इस्पात |
९४,०८८ |
३,८६,५८८ |
६,२७,८२६ |
९,६५,९२१ |
८,२८,८२२ |
कारखाना अब पूरी क्षमता से कार्य कर रहा है। इसका वार्षिक उत्पादन १० लाख टन है, पर अब इसकी उत्पादन क्षमता १६ लाख टन तक बढ़ाई जा रही है। विस्तार होने पर इसमें ७८ भट्ठियाँ और कोक बैटरी, १,५०० टन की धमन भट्ठी, २२० टन की खुली भट्ठी और २,५०,००० टन की स्केल्प मिल लगाई जा रही है। ब्रूमिंग मिल की वार्षिक क्षमता १५ लाख टन की हो चुकी है। यंत्रों के पहियों के लिए १,३०,००० टन इस्पात यहाँ से दिया जा रहा है। नई धमनी भट्ठी, गैस क्लीनिंग यंत्र और कोक भट्ठी बनाने का काम चल रहा है। फिश प्लेट तैयार करने का यंत्र भी तैयार हो गया है। इसकी क्षमता ११ हजार टन है। कार्यालय के लिए आठ मंजिली इमारत का निर्माण हो रहा है। यहाँ की बनी चीजें, इस्पात के धातुपिंड, तैयार इस्पात, ज्वाएस्ट और चैनल, रेलों के प्लेट इत्यादि, दक्षिण अमरीका, दक्षिण वियतनाम, लंका, न्यूजीलैंड, नेपाल तथा एशिया के अन्य सुदूर पूर्वी देशों में भेजे जाने लगे हैं। इस कारखाने के उपोत्पाद बेंजीन को ब्रिटेन और नैफ्थलीन को जापान भी खरीदता है।
प्रारंभ में इंजीनियर विशेष प्रशिक्षण के लिए बाहर भेजे जाते थे, पर अब इसी कारखाने में उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था कर ली गई है। यहाँ एक इंजीनयरी कालेज भी स्थापित है, जिसमें इंजीनियर तैयार होते हैं। एक यांत्रिक इंजीनियरी अनुसंधानशाला भी स्थापित है। उपोत्पादों के कारण कई कारखाने यहाँ स्थापित हो गए हैं। उर्वरक तैयार करने का एक कारखाना भी शीघ्र खुलनेवाला है।
कारखाने से कुछ उत्तर में, १७ वर्ग मील क्षेत्र में, दुर्गापुर की बस्ती है, जिसमें लगभग २० हजार क्वार्टर बने हैं। इनमें कारखाने के कार्यकता और उनके परिवार रहते हैं। क्वार्टर नौ किस्म के बने हैं। पानी, बिजली आदि की पूरी सुविधा है। पानी दामोदर नदी से लिया जाता है। बस्ती में बालक और बालिकाओं दोनों के लिए अनेक प्राइमरी स्कूल, हाईस्कूल, नर्सरी स्कूल हैं। बच्चों की प्राइमरी शिक्षा तथा दोपहर का जलपान नि:शुल्क है। कर्मचारियों के कल्याण के लिए सामुदायिक केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र, चिकित्सा के लिए २८० शैयावाला अस्पताल, होटल, अतिथिगृह इत्यादि हैं। यहाँ की जनसंख्या ४१,६९६ (१९६१) थी।(फूलदेवसहाय वर्मा)