दुर्गादास राठोड़ (१६३८ से १७१८) मारवाड़ के राजा जसवंतसिंह के मंत्री असकरन के पुत्र दुर्गादास का जन्म १३ अगस्त, १६३८ को हुआ। वह दक्ष सेनानी, दूरदर्शी राजनीतिज्ञ, तथा निष्ठावान् व्यक्ति था। जब सुदूर उत्तर-पश्चिमी सीमांत पर, जमरूद में, जसवंत सिंह की मृत्यु हो गई (१६६८), तो कूटनीतिज्ञ औरंगजेब ने मारवाड़ को हस्तगत करने के ध्येय से उसके शिशुपुत्र अजीतसिंह को दिल्ली में बंदी बनाने का निश्चय किया। तब अपूर्व साहसपूर्वक, मुट्ठी भर राजपूत सैनिकों की सहायता से, दुर्गादास ने अजीतसिंह को शत्रु के मुख से निकाल, उसे मारवाड़ पहुँचाया और मुगलों से युद्धारंभ कर दिया। जब औरंगजेब की क्रूरनीति से उसका विद्रोही पुत्र अकबर राजपूतों द्वारा त्यक्त कर दिया गया, तो दुर्गादास ने अकेले, अनेक संकटों का सामना कर, अकबर को संभाजी के दरबार में सुरक्षित पहुँचा दिया। महाराष्ट्र से लौट राजपूत सेना का पुन: नेतृत्व धारण कर, उसने निरंतर ३० वर्षों तक मुगलों से संघर्ष किया। अंतत: वह अजीतसिंह को मारवाड़ के सिंहासन पर बैठाने में सफल हुआ (अगस्त १७०९)। किंतु, तदनंतर अजीतसिंह ने दुर्गादास का देशनिष्कासन कर मारवाड़ के उद्धारक के प्रति कृतघ्नता का ही परिचय दिया। तब दुर्गादास ने महाराणा उदयपुर की नौकरी ग्रहण कर ली। वह २२ नवंबर, १७१८ में रामपुरे में दिवंगत हुआ।
सं.ग्रं.- (१) ऐनल्स ऑव राजस्थान : टॉड; (२) हिस्ट्री ऑव औरंगजेब, जि. (३) यदुनाथ सरकार।
हिंदी-
(१) राजपुताने का इतिहास (चौथी जिल्द, दूसरा भाग) (जोधपुर राज्य का इतिहास : द्वितीय खंड) डा. गौरीशकर हीराचंद ओझा।(राजेंद्र नागर)