दुर्गाचरण रक्षित बंगाल के एक प्रसिद्ध व्यवसायी। इनका जन्म १८४७ ई. में चंदन नगर में हुआ था। पिता की मृत्यु के बाद इन्होंने कलकत्ते के व्यापारी के यहाँ नौकरी कर ली, फिर स्वतंत्र रूप से व्यवसाय करना आरंभ किया। फ्रांस के कई नगरों में व्यवसाय चलाकर इन्होंने अच्छा धन कमाया। सन् १८७२ में ये चंदननगर की 'लोकल कौंसिल' के सदस्य बनाए गए और बाद में लगभग १५ वर्षों तक उसके सभापति भी रहे। व्यवसायी होने के साथ साथ ये बड़े विद्याप्रेमी भी थे। इसी से पेरिस की साहित्य परिषद् ने इन्हें परिषद् का सम्मानित सदस्य बनाया। बाद में १८९६ के जनवरी मास में इन्हें फ्रांस का एक और सम्मान का पद प्राप्त हुआ। इन्होंने अपने धन से कई विद्यालयों तथा धर्मशालाओं का निर्माण कराया जिससे इन्हें पुण्य के साथ साथ यश का भी लाभ हुआ।(योगेश्वर पांडेय)