दीर्घवृत्त (Elipse) यदि किसी वृत्त के प्रत्येक बिंदु से उसके किसी व्यास पर लंब खींचे जाए और वे सब दिए हुए अनुपात में सिकोड़ दिए जाएँ, तो इस प्रकार प्राप्त क्षेत्र दीर्घवृत्त कहलाता है। वृत्त इसका सहायक वृत्त है। दीर्घवृत्त के प्रत्यक बिंदु ब की एक दिए हुए विंदु ना से दूरी और दी हुई एक रेखा चा छा से लंबवत् दूरी का अनुपात १ से कम कोई अचल संख्या उ (e) उत्केंद्रता कहलाती है। (चित्र में ब ना = उ � ब पा)। दीर्घवृत्त की एक दूसरी नाभि ना तथा दूसरी नियता जाभा भी होती है। नाभि से नियता पर लंब अक्ष कहलाता है। यदि दीर्घवृत्त
अक्ष को बिंदु का और का� पर काटे तो काका� = २क (2a) दीर्घ अक्ष तथा इसका मध्य विंदु म है। काका� पर लंब खाखा� = २ख (2b) लघु अक्ष कहलाता है। अक्षों के सापेक्ष दीर्घृत का मानक समीकरण,
होता है। यदि २ क (2a) लंबी डोरी के सिरे नाना� पर बाँध दिए जाएँ और पेंसिल की नोक से डोरी तानकर इधर उधर घुमाएँ तो दीर्घवृत्त खिंच जाता है। किसी शंकु को उसके अक्ष से न्यून कोण बनाता हुआ कोई समतल दीर्घवृत्त में काटता है।(झम्मनलाल शर्मा)