दीर्घतमा काशिराज के एक पुत्र जिन्हें दीर्घतपा भी कहते हैं। ऋग्वेद में इन्हें उचाथ्य का पुत्र लिखा है। ये जन्मांध थे और अग्नि की उपासना करने पर इन्हें दृष्टि प्राप्त हुई। यों तो इनके दो पुत्र कपीवट एवं धन्वंतरि थे, पर बलि की स्त्री सुदेष्ण से इनकी पाँच और संतानें हुई थीं। पुराणों में इन्हें अतथ्य तथा ममता का पुत्र कहा गया है।

(रामाज्ञा द्विवेदी)