दियोनिसियस अरियोपागितेस एक अज्ञात यूनानी लेखक ने (लगभग सन् ५०० ई.) कई रहस्यवादी रचनाओं में नव अफलातूनी दर्शन तथा ईसाई धर्मसिद्धातों में समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया था। उसने अपने को प्रथम शताब्दी ई. का दियोनिसियस अरियेपागितेस (अंग्रेजी में एरियोपागाइट अर्थात् अथेंस नगर की लोकसभा अनियोपगेस का सदस्य) घोषित किया जिसे बाइबिल (दे. ऐक्ट्स ऑव दि एपोसल्स, १७/३-४) के अनुसार संत पाल ने ईसाई धर्म में दीक्षित किया था। १५वी श. ई. तक ये रचनाएँ प्रथम शताब्दी की मानी जाती थीं। मध्य युग में उनका बारंबार अनुवाद किया गया तथा उनपर बहुत सी व्याख्याएँ भी लिखी गई और इस प्रकार उन रचनाओं का मध्यकालीन धर्मविज्ञान पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। आज तक जन रचनाओं का वास्तविक लेखक अज्ञात है। (रेवरेंड कामिल)