दियानत खाँ वास्तविक नाम मीर अली नकी था। औरंगजेब के शासनकाल में पहले बीदर का और फिर बुर्हानपुर का दीवान नियुक्त हुआ। पिता की मृत्यु पर औरंगाबाद का शासक बनाया गया। एक अन्य सरदार अमीर-उल-उमरा हुसेन अलीखाँ ने इसे दक्षिण की दीवानी के लिए मनोनीत किया। इसी समय इसे दियातन खाँ की उपाधि मिली। १७२९ में इसकी मृत्यु हुई। यह बहुत बुद्धिमान और कल्पनाशील व्यक्ति था, इसी कारण इसने प्राय: सम्मान और यश अर्जित किया। इसकी इस स्थिति से अन्य सरदार ईर्ष्यालु थे, उनके कारण दियानत खाँ को बहुत कष्ट झेलने पड़े।