दालाँवेयर (D' Alembert, १७१७-१७८३ ई.) फ्रांसीसी गणितज्ञ का जन्म पेरिस में हुआ। २४ वर्षं की आयु में ही इनको पैरिस की विज्ञान अकादमी में प्रवेश मिला गया और १७५४ ई. में ये अकादमी के स्भायी मंत्री बना दिए गए। १७४३ ई. में दालाँबेयर के सिद्धांत, अर्थात्, निहित और फलवत् बल तुल्य होते हैं, पर आधारित इनकी पुस्तक 'त्रेते द दिनामिक' (Traite' de dynamique) प्रकाशित हुई। इसमें 'गति के नियम' और उनपर आश्रित विचारों को अत्यधिक व्यापक रूप में वैश्लेषिक भाषा में प्रदर्शित किया गया है। दालाँबेयर ने इस सिद्धांत का प्रयोग १७४४ ई. में तरलों के साम्य और उनकी गति की दशाओं का तथा १७४६ ई. प्रकंपित रज्जु एवं विषुवों की अग्रगति (precession of the equinoxes) के निर्मेयों को हल करने में किया। इन अन्वेषणों के मध्य इनके समक्ष अनेक आंशिक अवकल समीकरण आए, जिनको इन्हें हल करना पड़ा। इस कार्य से दालाँबेयर तत्कालीन आंशिक अवकल समीकरणवेत्ताओं में अग्रगण्य हो गए। (रामकुमार.)