दार्जिलिंग १. जिला, स्थिति : २६रू ३१फ़ से २७रू १३फ़ उ.अ. तथा ५९फ़ ८७रू से ८७रू ५३फ़ पू.दे.। यह भारत में उत्तरी पश्चिमी बंगाल राज्य का जिला है। इसका क्षेत्रफल १,१६० वर्ग मील है और इसके उत्तर में सिक्किम, पश्चिम में नेपाल, पूर्व में भूटान और दक्षिण-पश्चिम में बिहार राज्य हैं। इसमें तिस्ता तथा महानंदा नदियाँ बहती हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में साल, सागौन और सिनकोना के सघन जंगल हैं। यह पश्चिमी बंगाल का सबसे अधिक चाय उत्पादक जिला है। इस जिले में धान, मक्का, ज्वार, इलायची, संतरे, जूट और गेहूँ उत्पन्न होते हैं। यहाँ कोयले तथा तांबे की खानें हैं। दार्जिलिंग, कुर्सियांग और कलिंपोंग में चाय तैयार की जाती है। सिलीगुड़ी में वस्त्रोद्योग, लकड़ी चीरने और धान कूटने की मिलें हैं। हाथी, चीता तेंदुआ और गैंडा के शिकार के लिए यह जिला प्रसिद्ध है।

२. नगर, स्थिति : २७रू ३फ़ उ.अ. तथा ८८रू १८फ़ पू.दे.। जिले के केंद्रीय नगर का नाम भी दार्जिलिंग है, जो कलकत्ता से ३०५ मील उत्तर में रेलवे का अंतिम स्टेशन है। यहाँ की जनसंख्या ४०,६५१ (१९६१) थी। यह पर्वतीय स्वास्थ्यकेंद्र हिमालय के प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ चाय तैयार करने और प्लाईवुड बनाने के कारखाने हैं। यहाँ चावल, इलायची और नारंगी का व्यापार होता है। १८३५ ई. में सिक्किम के महाराज से इस नगर को ्ख्राीदकर ब्रिटिश सरकार ने अंग्रेज सैनिकों के लिए सैनिटोरियम बनवाया था। स्वच्छ आकाश में कांचनजंगा चोटी यहाँ से दिखाई पड़ती है, जो यहाँ से ४६ मील उत्तर में है। इसके १०६ मील उत्तर पश्चिम में एवरेस्ट शिखर है, जो टाइगर हिल्स या जालापहाड़ से दिखाई देता है। यहाँ पर ७,१६०फ़ की ऊँचाई पर एक वेधशाला है, जिसकी ढाल पर बौद्ध विहार है। यहाँ का वनस्पति उद्यान तथा समीपवर्ती क्षेत्र मनोहर है। यहाँ से आठ मील दक्षिण में स्थित धूम में औजारों का कारखाना है। (कृष्णमोहन गुप्त)