दशरथ अयोध्या के सूर्यवंशी राजा जो अज के पुत्र थे। इस नाम के कई और परंतु अप्रसिद्ध व्यक्ति हुए हैं। नि:संतान होने पर दशरथ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया और जब अग्नि में से विष्णु भगवान् प्रगट हुए तो उन्होंने दशरथ को अमृत से भरा एक घड़ा दिया और उसे अपनी तीनों स्त्रियों को पिलाने को कहा। तुलसीदास ने स्त्रियों को चरु देने की बात लिखी है। दशरथ के समधी मिथिला के राजा जनक थे जिनकी कन्या तथा भतीजियों के ब्याह राम और उनके भाइयों से हुए थे। अपनी स्त्रियों में सबसे अधिक दशरथ कैकेयी को मानते थे। इसी कारण रामायण की कथा में बनवास का प्रकरण आता है। दशरथ का विलाप, उनकी मृत्यु आदि को श्रवण के पिता द्वारा दिए शाप का ही फल माना जाता है। इनकी एक मात्र कन्या शांता शृंगी ऋषि को ब्याही थी। (रामाज्ञा द्विवेदी)