दलीप सिंह रणजीत सिंह के मरते ही पंजाब की दुर्दशा शुरू हो गई। दलीप सिंह पंजाब का अंतिम सिक्ख शासक था जो सन् १८४३ में महाराजा बना। राज्य का काम उसकी माँ रानी जिंदाँ देखती थीं। इस समय अराजकता फैली होने के कारण खालसा सेना सर्वशक्तिमान् हो गई। सेना की शक्ति से भयभीत होकर दरबार के स्वार्थी सिक्खों ने खालसा को १८४५ के प्रथम सिक्ख-अंग्रेज-युद्ध में भिड़ा दिया १८४६ में दलीप ने मजबूर होकर अंग्रेजों से लाहौर की संधि की जिससे सिक्ख साम्राज्य को बड़ा धक्का पहुँचा। सन् १८४९ में ही सिक्खों का दूसरा युद्ध शुरू हो गया जिसके अंत में दलीप के पंजाब राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। कोहिनूर हीरा छीनकर रानी विक्टोरिया को भेज दिया गया। दलीप सिंह को पाँच लाख रुपया सालाना पेंशन देकर रानी ज़िंदा के साथ इंग्लैंड में रहने के लिए विवश किया गया। (मिथिलेश चंद्र पांडा.)