त्वचा कशेरुकदंडी प्राणी के शरीर का बाह्य आवरण है। मानव त्वचा के मुख्य दो घटक, अंतस्त्वचा (Dermis) और बाह्यत्वचा (Epidermis) हैं। अंतस्त्वचा वास्तविक त्वचा है और यह अधस्त्वक् ऊतकों पर रहती है। इसका अधिकंश अकोशिक पदार्थों का बना होता है, जो संयोजी ऊतकों के ताने बाने के रूप में होते हैं। रूधिरवाहिकाएँ एवं तंत्रिकाएँ अंतस्त्वचा में से जाती हैं। अंतस्त्वचा में लोमकूप, स्वेदग्रंथि तथा त्वग्वसाग्रंथि रहती हैं। आनन की अभिव्यक्ति को नियंत्रि करनेवाली ऐच्छिक पेशियाँ भी अंतस्त्वचा में रहती हैं और ये त्वचा में तनाव उत्पन्न कर सकती हैं। अंतस्त्वचा के कुछ सीमित क्षेत्र में अनैच्छिक पेशियों की परतें रहती हैं, जिनका आकुंचन त्वचा में कसाव उत्पन्न करता है। प्रत्येक लोमकूप से अनैच्छिक पेशी इस प्रकार लगी रहती है कि इसका आकुंचन लोमकूप की स्वाभाविक तिर्यक् स्थिति को सीधा करता है।

चित्र

बाह्यत्वचा कोशिकाओं के कई स्तरों (stratum) से बनी होती है। इन स्तरों मे कोशिकाएँ एक दूसरे को जकड़े रहती हैं। इन स्तरों क मोटाई शरीर के विभिन्न स्थानों पर विभिन्न होती है। बाह्यत्वचा की बाह्यतन परत मृत कोशिकाओं से बनी होती है। ये मृत कोशिकाएँ सतह से उतरा करती हैं और इनके स्थान की पूर्ति गहराई में स्थित कोशिकाओं के पुनरुत्पादन द्वारा होती है। बाह्यत्वचा में से असंख्य संवेदी तंत्रिका अंतांग (endings) आर पार होते हैं। त्वचा के सभी उपांग -- रोम, नाखून, कई प्रकार की ग्रंथियाँ, जिनमें स्वेद ग्रंथि एवं त्वग्वसाग्रंथि संमिलित हैं -- भ्रूण में बाह्यत्वचा से ही विकसित होते हैं और सदा इसके साथ बने रहते हैं।

त्वचा के कार्य -- त्वचा गरम, सरदी तथा हानिकारक पदार्थों से शरीर की रक्षा करती है। यह शरीर का संवेदी अंश है। इसके द्वारा उष्मा, स्पर्श, पीड़ा एवं दबाव का अनुभव होता है। त्वचा के द्वारा जल स्वेद के रूप मे बाहर निकलता है। इस प्रकार शरीर के कुछ अवशिष्ट पदार्थ, जैसे यूरिया एवं यूरिक अम्ल, बाहर निकलने में यह वृक्क् की सहायता करती है। त्वचा की सतह से स्वेद का वाष्पीकरण होना और उसमें रक्त का परिवहन होना ताप के नियमन के प्रक्रम का एक भाग है। विटामिन डी का पुरोवर्ती अर्गोस्टेरोल (ergosterol) बाह्यत्वचा में संचित रहता है, जो सूर्य की किरणों अथवा कृत्रिम पराबैंगनी किरणों के द्वारा उत्प्रेरित होता है। त्वचा की झुर्रियों के द्वारा व्यक्ति की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। व्यक्ति के स्वास्थ्य के संबंध में निर्णय करने में त्वचा सहायक होती है। [अजितनारायण मेहरोत्रा]