त्रात्स्की, लेव दाविदोविश रूसी राजनीतिज्ञ था। इसका वास्तविक नाम ब्रांस्तीन (Bronstein) था। इसका जन्म सन् १८७९ ईo में यहूदी परिवार में हुआ था। १९ वर्ष की अवस्था में इसे क्रांतिकारी होने के कारण साइबीरिया में नजरबंद किया गया। चार वर्ष बाद इसने त्रात्सकी नाम धारण कर एक जाली पारपत्र बनवा लिया और इंग्लैंड चला गया। लंदन में इसका संपर्क प्लेखानोव (Plekhanov) और लेनिन (Lenin) से हुआ। इसने 'इस्क्रा' (अर्थात् 'चिनगारी') नामक रूसी क्रांतिकारी पत्र के संपादन में भाग लिया। सन् १९०५ में यह स्वदेश लौटा और सेंट पीटर्सबर्ग में सोवियत के श्रमिकों की सभा का स्भापतित्व करते हुए गिरफ्तार हुआ। इसे निर्वासित होकर तोबोल्स्क में रहना पड़ा किंतु वहाँ से यह भाग निकला और विएना पहुँच गया। 'प्रवदा' तथा अन्य पत्रों के लिये काम करने के अलावा इसने एक रासायनिक कारखाने में भी कार्य किया। १९१० में इसने समाज लोकतंत्रीय कांग्रेस में भाग लिया। कुछ समय यह कुस्तुनतुनिया में युद्ध संवाददाता के रूप में रहा। फिर इसने जूरिख (Zurich) और पैरिस में एक क्रांतिकारी पत्र के प्रकाशन में भाग लिया इसने जर्मन भाषा में प्रथम विश्वयुद्ध के कारणों पर एक पुस्तक लिखी जिसके परिणामस्वरूप इसे आठ महीने का कारावास दंड भोगना पड़ा। इसने जर्मनी के अलावा दूसरे देशों में भी युद्ध का विरोध किया। सन् १९१६ में फ्रांस से निर्वासित होकर स्पेन पहुँचा। वहाँ से इसे अमरीका जाना पड़ा जहाँ इसने 'नोवी मीर' (Novi Mir) अर्थात् 'नवीन संसार' नामक रूसी क्रांतिकारी पत्र का संपादन किया।

जब मार्च १९१७ में रूस में राज्यक्रांति प्रारंभ हुई तो त्रात्स्की के मित्रों ने चंदा इकaा कर इसे रूस भेजा। वहाँ जुलाई मास में इसे गिरफ्तार किया गया। नई सोवियत सरकार ने इसका संमान किया और इसे 'पीपुल्स कमिसर फॉर फारेन अफेअर्स' (People's commissar for foreign affairs) का पद दिया। ब्रेस्त लितोव्स्क (Brest Litovsk) की संधि वार्ता में इसने महत्वपूर्ण भाग लिया। कुछ समय तक इसने युद्धसचिव का कार्यभार सँभाला और 'वीन लाल फौज' की सुंदर व्यवस्था की। १९२३ में इसके विरोधियों का बल बढ़ गया और अगले वर्ष लेनिन की मृत्यु के बाद इसे युद्धमंत्री का पद त्यागना पड़ा। तत्पश्चात् राजनीतिक दृष्टि से कम महत्ववाले पदों पर रहने के बाद इसे १९२७ में कम्यूनिस्ट दल से अलग होना पड़ा। इसके जीवन के अंतिम दस वर्ष विदेशों में बीते और अगस्त, १९३७ में मेक्सिको के पास इसके किसी शत्रु ने इसकी हत्या कर दी।