तैरना मनुष्य के लिये बहुत आवश्यक है। तैरने से दो लाभ होते हैं : (१) हम अपने या दूसरों को डूबने से बचा सकते हैं और (२) हम अपना स्वास्थ्य अच्छा रख सकते हैं। अच्छी तरह तैरने से आत्मविश्वास बढ़ता है।
आप अपने अवयवों को पानी में ढीला छोड़ दीजिए और आकाश की ओर देखते हुए पानी में लेट जाइए, आपको यह देखकर आश्चर्य होगा कि आप डूबते नहीं हैं। पानी में स्थिर रहने का यह ढंग पहले सीखना चाहिए।
चित्र १. छाती के बल तैरना
(ब्रेस्ट स्ट्रोक, Breast Stroke)
शरीर में सिर सब से भारी अवयव है, जिससे नाक को और प्राणियों की तरह पानी के ऊपर रखकर तैरना आरंभ में कठिन होता है। तैरनेके प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
छाती के बल तैरना (ब्रेस्ट स्ट्रोक) -- इसमें तैरनेवाला छाती के बल पानी पर लेटकर निम्नलिखित क्रिया करता है : १. दोनों हाथ और पैर ढीले रखकर बदन के नीचे मोड़ना।
२. दोनों हाथों को मिलाकर सामने सीधे करना और साथ साथ दोनों पैर भी घुटने के नीचे हिलाकर सीधे करना।
३. सीधे पैर कैंची की तरह जोर से इकaा करना। इससे पानी जोर से पीछे कटेगा और बदन आगे जायगा।
४. दोनों हाथों से पानी को कंधों की तरफ जोर से दबाना। इससे मुँह पानी के ऊपर आएगा और श्वास लेना आसान होगा। क्रिया १, २, ३ में पानी में सिर डुबाकर नाक से साँस छोड़ी जाती है और ४ में पानी से सिर ऊपर निकालकर मुँह से साँस ली जाती है।
चित्र २. ओवर आर्म स्ट्रोक
(Over Arm Stroke)
पीठ के बल तैरना (बैक स्ट्रोक) -- इसमे तैरनेवाला पानी पर चित लेटता है और उसका सिर थोड़ा उठा रहता है। तैराक को निम्नलिखित क्रिया करनी पड़ती है :
(१) दोनों हाथ मोड़कर कंधे की तरफ लेना और दोनों पैर ढीले रखकर नजदीक लेना।
चित्र ३. पीठ के बल तैरना
(बैक स्ट्रोक, Back Stroke)
(२) पानी में सिर के ऊपर हाथ सीधे करना और साथ ही साथ घुटने के नीचे पैर हिलाकर सीधे करना।
(३) कैंची की तरह पैर इकaा करके दोनों हाथ वर्तुलाकार पानी में हिलाकर बदन के नजदीक पानी को दबाते दबाते लाना।
(४) इसी स्थिति में बदन को ढीला रखकर आगे बढ़ना। इस विधि में श्वसन के लिये कोई विशेष क्रिया नहीं करनी पड़ती है।
चित्र ४. बिना हिले डुले तिरते रहना
(फ्लोटिंग Floating)
बैक क्रॉल -- इसमें हाथ की क्रिया दो प्रकार से होती है : (१) दोनों हाथों को बदन के समीप लाते हुए ढीले रखकर मोड़ना और पानी के बाहर निकालते हुए सिर के पीछे पानी में सीधे रखना और पानी को दबाते दबाते दोनों हाथों को बदन के नजदीक जोर से लेना।
चित्र ५. बैक क्रॉल
(Back Crawl)
(२) उपर्युक्त क्रिया को क्रमश: एक के बाद दूसरे हाथ से लगातार करना। पैर की क्रिया -- दोनों पैर सीधे रखकर घुटने के नीचे और ऊपर हिलाना।
क्रॉल या फ्री स्टाइल -- इसमे हाथ की क्रिया उसी तरह होती है जैसे ऊपर दूसरे प्रकार में लिखा है। एक के बाद दूसरा हाथ सिर के सामने रखकर पानी नीचे और पीछे दबाना। पानी में हाथ ढीला रखकर बाहर मोड़ते हुए निकालना। पैर को छह बार ऊपर नीचे हिलाना। नीचे हिलाने के समय और ढीला छोड़ना और ऊपर जोर से लेना।
चित्र ६. क्रॉल या फ्री स्टाइल
(Crawl or Free Style)
जब दोनों हाथ बाहर निकालते हैं, तब सिर को दाएँ, या बाएँ मोड़कर मुँह से श्वास लेते हैं। पानी में मुँह डूबा रहने पर नाक से श्वास छोड़ते हैं।
[जी. सी. परांपजे]