तू-फ़ू चीन का तांग राजवंशीय कवि और चित्रकार जिसका जन्म स्यांग्यांफू के एक शिक्षित सैनिक परिवार में ७१२ ईo में हुआ। इसकी प्रारंभिक प्रतिभा पद्य तथा निबंध के रूप में प्रस्फुटित हुई। १० वर्ष तक घुमक्कड़ों का जीवन व्यतीत कर राजधानी में पहुँचा किंतु उपाधिप्राप्ति में असफल होकर पुन: पर्यटन में लग गया। सन् ७४९ में अपने गद्यकाव्य से सम्राट् को प्रसन्न कर चिह्-हसेन ग्रंथागार में नियुक्त हो गया। चार वर्ष पश्चात् अन्यत्र भेज दिया गया। एक वर्ष तक लुटेरों की कैद में रहा। अंतत: राजधानी में जाकर राजा का कृपापात्र बन गया, किंतु कुछ कारणों से पदच्युत होकर एक साधारण अधिकारी बना। अंत में अपने परिवार के लोगों से मिला जहाँ अन्नाभाव के कारण एक बार फिर उसे यायावरीय जीवन अपनाना पड़ा। कहा जाता है कि विकराल बाढ़ से घिरकर इसने हूहुआंग के भग्न मंदिर में शरण ली। कई दिनों के उपवास के पश्चात् स्थानीय अधिकारियों ने, पता लगने पर भोजन के लिये बुलाया जहाँ अत्यधिक भोजन कर लेने के परिणामस्वरूप ७७० ईo में इसकी मृत्यु हो गई। [गुरुदेव त्रिपाठी]