तुकोजी होलकर अहिल्याबाई का सेनापति था। वह दक्ष सैनिक होते हुए भी राजनीति में अल्पज्ञ तथा प्रकृति से अक्खड़ था। उसके वक्रबुद्धि सचिव नारागणेश्या का भी उसमर अवांछनीय प्रभाव पड़ा पेश्वा पद के संघर्ष में उनसे माधवराव के विरुद्ध राघोबा तथा मोरोबा फड़निस का साथ दिया। प्रथम आंग्ल-मराठा-युद्ध में यद्यपि उसने गाँडर्ड को पराजित किया (१७८०), किंतु माहदजी शिंदे से असहयोग करने के कारण उसने महाराष्ट्रीय सत्ता और एकता को हानि ही पहुँचाई। वस्तुत उसने द्वेषवश शिंदे का निरंतर गत्यवरोध किया। शिंदे के विपक्ष में उसने अली बहादुर की सहायता की। यजपुर नरेश का पक्ष ग्रहण करने से तो दोनों में युद्ध ही छिड़ गया। फलत: लखेड़ी (जून १, १७८३) में शिंदे के हाथों उसे पूर्ण पराजय हुई। अहिल्याबाई की मृत्यु पर उसने इंदौर का राज्याधिकार ग्रहण किया (१७६५)। किंतु दो वर्ष बाद ही ७२ वर्ष की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई (१५ अगस्त, १७९७)।(राजेंद्रनागर)