तारा (१) बलि की पत्नी और अंगद की माता जो सुषेण नामक वानर की पुत्री थी। बलि की मृत्यु के बाद सुग्रीव ने इसे अपनी पत्नी बना लिया। इनकी गण्ना पंचकन्याओं में की जाती है। (२) बृहस्पति की स्त्री जिसे इसके इच्छानुसार चंद्रमा ने अपनी पत्नी बना लिया था। 'बुध' चंद्रमा और तारा के ही पुत्र थे। बाद को उन्हें चंद्रमा के पास छोड़कर तारा अपने यथार्थ पति के साथ रहने लगी। (भो० ति०) np (३) शिवशक्ति विग्रह, ब्रह्म की द्वितीया शक्ति के रूप में दक्षतनया सती का एक नाम जो तारक (मुक्तिदात्री) होने के कारण तारा कहलाती हैं। स्तोत्र तथा तंत्रसाहित्य में इनके उग्र और भयंकर स्वरूप की कल्पनाएँ मिलती हैं। उग्रतारिणी, नीलसरस्वती, एकजटा, महोग्रा नीला, घना, महामाया आदि इनके अनेक नाम हैं। स्वरूम और सिद्धांत की दृष्टि से बौद्ध, जैन तथा सनातनी तारा में मूलत: कोई भेद नहीं हैं।(श्याम तिवारी)