ड्राइडेन, जाँन आंग्ल कवि जाँन ड्राइडेन का जन्म ९ अगस्त १९३१ ई० को नार्थपटनशायर के अल्डविंकिल नामक स्थान में हुआ था। उसका शैशव टिकमार्श में व्यतीत हुआ जहाँ उसके नाना रेवरेंड हेनरी पिकरिंग की संपत्ति भी। उसकी प्रारंभिक शिक्षा विख्यात डॉ० बुस्वी द्वारा संचालित वेस्टमिस्टर स्कूल में हुई और ट्रिनिटी कालेज, केंब्रिज से उसने १६५४ में बी० ए० की उपाधि ग्रहण की। उसी वर्ष उसके पिता का देहावसान हुआ। सन् १६५७ से वह लंदन में रहने लगा था। ड्राइडेन राजकवि और इतिहास लेखक घेषित किया गया तथा एक सौ पौंड की पेंशन भी उसे स्वीकृत हुई। १६८३ में उसकी नियुक्ति लंदन के एक भू-भाग में कलेक्टर अॅव कस्टम के पद पर हुई। १६८५ में जेम्स द्वितीय के राज्यारोहण पर ड्राइडेन ने इंग्लैंड के चर्च का बहिष्कार कर कैथेलिक धर्म की स्वीकार किया। १६६८ की क्रांति में कैथेलिक धर्म छोड़ने तथा विलियम तृतीय के प्रति राजभक्ति की शपथ लेने से अस्वीकार करने पर ड्राइडेग राज्य का को पभाजन बना और उसके सभी पद और पेंशनें छीन ली गई। उसका दहांत १७०० के मई दिवस पर गठिया राग से हुआ और वेरटमिस्टर अबे में उसे दफनाया गया।
अंग्रेजी काव्य को ड्राइडेन की प्रथम देन एक कविता थी, जिसकी रचना उसने सन् १६४९ में अपने सहपाठी यंग लार्ड हेस्टिग्स की स्मृति में की थी। उस समय वह केवल १८ वर्ष का था। यह कविता डन (Donne) और क्लीवलैंड की आध्यात्मिक कविताओं की पद्धति का अनुसरण कर लिखी गई है। किंतु १६५९ में प्रकाशित क्रामवेल की मृत्यु पर रचित उसके हीरोइक स्टेजों में प्रवाह की कुछ कमी होते हुए भी साहित्यिक सौष्ठव है। उसकी रेस्टोरेशन विषयक प्रशस्ति कविताएँ जिनका १६६० में अस्ट्रेइया रिडक्स से प्रारंभ होकर १६६७ में एननस मिराबिलिस से अंत होता है, पद्य शैली पर उसके अभूतपूर्व एवं आश्चर्यजनक आधिपत्य को प्रदर्शित करती हैं। कुछ अस्वाभाविक चित्रों तथा अनावश्यक अलंकृत शब्द विन्यास के होते हुए भी एन्नस मिराबिलिसअपनी सशक्त घ्वनि, काव्योचित अभिव्यक्ति एवं संगीतात्मक गुणों के कारण एक विलक्षण कृति है।
ड्राइडेन अनेक वर्षो तक नाटय रचना में व्यस्त रहा। उसने स्वयं स्वीकार किया है कि इस प्रकार की रचनाओं को वह घृणित समझता था और केवल आर्थिक लाभ के लिये वह वैसी रचना करता था। १६६३ और १६९४ के बीच, अर्थात् अपनी प्रथम कामेदी दि वाइल्ड गैलेंट और अपने अंतिम नाटक लव टेम्फेंट मिलाकर ड्राइडेन ने सब सात कामेदी, पाँच वीरता विषयक नाटक, चार त्रागदी कामेदी और चार त्रागदी की रचनाएँ कीं। उक्त कृतियों में, हीरोइक कपलेट्स में लिखा हुआ प्रमुख नाटक कांस्वेस्ट ऑव ग्रेनाडा (१६७०), सर्वाधिक उल्लासपूर्ण कामेदी मैरेज-ए-ला मोड (१६७२) तुकयुक्त कपलेट में लिखित उसकी अंतिम त्रागदी औरंगजेब (१६७५), ब्लैंकवर्स में निर्मित उसका प्रथम और सर्वश्रेष्ठ नाटक आल फार लव (१६७७),तथा उसी पद्यपद्धति पर रचित उसकी डॉन सिवास्टियन (१६८९) नामक त्रागदी उसकी (ड्राइडेन की) श्रेष्ठ रचनाएँ हैं। डॉन सिवास्टियन उसके सर्वोत्कृष्ट नाटक आल फॉर लव के समकक्ष रखा जा सकता है, बल्कि कथानक की गहनता और गठन की दृष्टि से यह उससे भी श्रेष्ठ है।
यद्यपि नाटक के क्षेत्र में ड्राइडेन ने निस्संदेह महत्वपूर्ण कार्य किया किंतु उसकी पूर्ण सर्जनात्मक शक्ति उसके ५०वें वर्ष में प्रकाशित ग्रंथ अवसालम ऐंड एकीटाफेल में प्रस्फुटित हुई जो अपने तीक्ष्ण बुद्धि विलास, जाज्वल्यमान शब्दयोजना, प्रहारात्मक आक्षेप एवं व्यंगात्मक चित्रण के लिये एक अदॅभुत रचना है और अंग्रेजी भाषा में सबसे महान् राजनीतिक व्यंग्यकाव्य है। इसके पश्चात् ही १६८२ में दी मेडल प्रकाशित हुआ जो जननायकवादी नीति पर सीधा प्रहार है। तदुपरांत उसी वष मैक फ्लेक्नों प्रकाश में आया, जो अंग्रेजी भाषा के व्यक्तिप्रधान व्यंगकाव्यों में अपना शीषस्थ स्थान रखता है। इसमें टॉमस शेडवेल द्वारा रचित दि मेडल ऑव जान वेयस में अपनी पुस्तक दी मेडल के पति किए गए आरोपों का ओजस्वी और कटु उत्तर है। हीरोइक कपलेट्स से विलसित व्यंगकाव्य में नियोजित काव्य-कथा का यह प्रथम उदाहरण है और पोप के डनसियड का सकेत प्रस्तुत करता है। १६८२ में ही रेलीजिओलाइसो का प्रकाशन हुआ जिसमें इंग्लैड के प्रोटेस्टेंट चच का दृढ़ समथन और इश्वरवाद के विरूद्ध स्पष्ट और तीब्र तक प्रस्तुत किए गए हैं। दि हाइंड ऐंड दि पैंथर जिसमें ड्राइडेन के केथोलिक धर्म की ओर परिवर्तित विचारधारा का न्यायोचित निदेशन है, ड्राइडेन का सुप्रसिद्ध धामिक घोषणापत्र है और अपनी स्पष्टता, तकपद्धति एवं निष्कपटता के लिये इसकी अधिक ख्याति है। अंग्रेजी भाषा में यह सवोत्कृष्ट धामिक व्यंग है। अद्वितीय दक्षता और ज्वलंत शक्ति से ओत प्रोत आक्षेप, उत्तेजना और तक की उद्देश्यपूर्ति के लिये इन सभी कविताओं की रचना तुकमुक्त हीरोइक कपलेट में ही हूइ है।
ड्राइडेन की काव्यप्रतिभा गीतात्मक तत्वों की उपेक्षा है। उसके नाटकांतगत गीतों में असाधारण वैविध्य और आकषण है। उसके ओड्स टु दि पायस मेनरी ऑव मिसेज एनी किलीग्रयू (१६८६) , ए सांग फॉर सेंट सेसीलिया डे (१६८७) और अलेक्जेंडर फीस्ट (१६९७) में शालीनता और प्रवाह का अच्छा निर्वाह हुआ हैं।
क्रांति के बाद प्राय: दस वषो तक ड्राइडेन उच्च कोटि के ग्रंथें को अनूदित करने में लगा रहा और उसने वजिल तथा जुवेनाल का महत्वपूण अनुवाद प्रस्तुत किया। टी०एस० इल्यिट ने लिखा है, ड्राईडेन ने अपनी अनूदित और मौलिक रचनाओं से अंग्रेजी भाषा के निर्माण तथा वृद्धि में योग दिया है। सन् १७०० में अपनी मृत्यु के कुछ ही समय पहले उसने फेबुल एंशेंट ऐंड मार्डन की रचना की जिसमें होमर, आविद बोकैशियो और चॉसर की कहानियों को पद्यबद्ध प्रस्तुत किया गया है। यद्यपि ये कहानियाँ ड्राइडेन की वृद्धावस्था, अस्वस्थता और प्रतिकूल परिस्थिति में लिखी गई हैं, फिर भी इनके कारण उसकी गणना अंग्रेजी पद्य में कहानी लिखनेवाले श्रेष्ठ कथाकारों में होती है।
ड्राइडेन की गद्यरचना में मुख्यत: उसके निबंध और भूमिकाऍ हैं जो काव्य और नाटय संबंधी विविध समस्याओं से संबंधित हैं। यह प्रथम महान् अंग्रेज आलोचक आधुनिक अंग्रेजी गद्य के संस्थापकों में से है। बर्नार्ड शा को छोड़कर यह भूमिकाओं का सर्वश्रेष्ठ लेखक है।
एस्से ऑव डैमेटिक पोयेजी (१६६८) ड्राइडेन की नाट्य विषयक उच्च कोटि की आलोचना है। चार पात्रों के पारस्परिक संवाद के रूप में लिखी गई इस समीक्षापुस्त्तक में , जिसमें एक पात्र स्वयं ड्राइडेन है, प्राचीन और अर्वाचीन साहित्यकारों तथा मुक्त छंद और तुक युक्त छंद के सापेक्षिक गुण दोष का विवेचन है। आदि से अंत तक यह पुस्तक ऐसे स्थलों से परिपूर्ण है जो लेखक की अपूर्व योग्यता और साहित्यिक मूल्यांकन संबंधी उसके सूक्ष्म निरीक्षण को व्यक्त करते हैं। ड्राइडेन अपने युग का सर्वश्रेष्ठ बौद्धिक और सर्वतोमुखी प्रतिभासंपन्न ओजस्वी प्रतिनिधि है। [ बृजमोहनलाल साहनी]