ड्यूमा (दुमा) फ्रेंच नाटककार तथा उपन्यासलेखक आलेकसांद्र दुमा पेर का जन्म २४ जुलाई, सन् १८०२ को व्हिलियर कॉतरे में जन्म हुआ था। आपके पिता कुलीन (मार्किक्वस), माता निम्नवर्गीय (प्लिबीयन) और दादी अर्ध नीग्रो थीं। आपके पिता, जो अवकाशप्राप्त क्रांतिकारी जेनरल थे, अपने परिवार को निर्धनावस्था में छोड़कर सन् १८०६ में स्वर्गवासी हुए। थोड़ी शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् दुमा क्लर्क के रूप में पेरसि में काम करने लगे। आपका अध्ययन बहुत व्यापक था। स्कॉट, शिलर, शेक्सपीयर और बायरन आपको अत्यधिक प्रिय थे। आपने आइवैनो को मेलोड्रामा में परिणत किया। आपने बहुत से नाटक और उपन्यास लिखे हैं। आपका कथन है कि आपने अपने सहकारयोिं के साथ १२०० पुस्तकें लिखी हैं। पेरिस में एक परिधान निर्मात्री (डेसमेकर) से प्रेम होने के परिणामस्वरूप आपके एक पुत्र हुआ जो आगे चलकर आलेकसांद्र दुमा फिस के नाम से प्रसिद्ध हुआ। सन् १८०४ में आपने इदा फरियर नामक एक अभिनेत्री से विवाह किया, किंतु शीघ्र ही दोनों अलग अलग रहने लगे। दुमा ने दैनिक ल मुसकतेर और साप्ताहिक मॉन्तक्रिस्तो नामक पत्र निकाले। अपने रिनेसाँ शैली का मॉन्तक्रिस्तो नामक एक दुर्ग (शातो) बनवाया। निरंतर लिखते रहने पर भी परोपजीवियों से घिरे रहने के कारण आपको ऋणग्रस्त होना पड़ा। आपका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। आपके पुत्र आपको अपने घर लिवा गए जहाँ ५ दिसंबर, सन् १८७० को शांतिपूर्वक आपका देहांत हुआ।

ला शास ए लामुर नामक वोदवी (एक प्रकार का नाटक) से आपकी नाट्य रचना का प्रारंभ हुआ। आपने अपने सहकारियों की सहायता से ९१ नाटक लिखे जिनमें वोदवील, मेलोड्रामा, सुखांत नाटक, संकर दु:खांत नाटक, विनोदपूर्ण प्रहसन, क्लोक तथा डैगर प्ले हैं। हान्रि त्रोआ ए साकुर और आंतोनी आपकी बहुत ही लोक्रिय कृतियाँ हैं। मादमासेल द वेल इल, अ मारि साज सु लुइ क्लोरस और ले द मांसेल द से सिर आपके तीन सुखांत नाटक हैं जो आपके समय में बहुत ही लोकप्रिय थे और जिनका फ्रेंच साहित्य-भांडार में आज भी महत्वपूर्ण स्थान है। शारल सेल ए से व्हासे और कातिगुला आपके संकर दु:खांत नाटक हैं। लालुर द नेल क्लोक तथा डैगर ड्रामा है।

ऐतिहासिक नाटकों की ओर आपकी विशेष प्रवृति थी। दु:खपूर्ण जीवन, महान् साहसिक एवं रोमैंटिक कार्य आपके विशेष आकर्षण थे। आपके नाटकों में चरित्रचित्रणगत मनोवैज्ञानिक गंभीरता नहीं है: किंतु सजीवता, क्रियाशीलता, राग तथा षड्यंत्रों की रचना एवं उनका उद्घाटन है। आपके नाटकों में प्रगीतात्मक लय नहीं: किन्तु द्दश्यात्मक लय है। हान्रि त्रोआ ए साकुर और आंतोनी आपकी दो सर्वोत्कृष्ट कृतियाँ हैं। आपने ओजियर सांदो, और अपने पुत्र को प्रभावित किया। आपके नाटक कल्पना तथा राग से परिपूर्ण है: और आपके पुत्र के नाटकों में यथार्थवाद एवं निरीक्षण का प्राघान्य है।

दुमा की प्रसिद्धि उनके ऐतिहासिक उपन्यासों पर आधारित है। फ्रांस की राज्यक्रांति ने ऐतिहासिक नाटकों के विकास के लिये अनुकूल वातावरण तथा अतीत की सजीवता, वेशविन्यास एवं व्यक्तियों के प्रति स्वागत की भावना की सृष्टि की। दैंतन और नेपोलियन राजनीति में और दुमा नाटक के क्षेत्र में फ्रेंच शक्ति के प्रतिनिधि थे। आपके नाटकों के नायक दर्शनीय तथा उनकी कामनाएँ उनकी तलवारों के समान तीक्ष्ण हैं। वे अपने निर्णयों को तत्काल कार्यान्वित करते हैं। दुमा स्कॉट और शिलर से प्रभावित हुए। उन्होंने वर्णनात्मक उपन्यास के स्थान पर नाटकीय उपन्यास की स्थापना की, जिसमें विविध भव्य दृश्यों एवं सुव्यवस्थित संवादों द्वारा कथानक का विकास होता ह। स्कॉट की दृष्टि दार्शनिक थी: किंतु दुमा ने अपने नाटकों एवं उपन्यासों द्वारा अतीत का सुंदर चित्र प्रस्तुत किया है। आपकी रचनाओं में १६वीं, १७वीं और १८वीं शताब्दी के शक्तिशाली एवं रागात्मक फ्रांस का बाह्य स्वरूप प्रतिबिंबित होता है। आपने चिंतनशील, बौद्धिक एवं आत्यात्मिक फ्रांस का नहीं, वरन् भौतिक, सैनिक, सामाजिक तथा क्रियाशील फ्रांस का चित्रण किया है। आपके प्रमुख उपन्यास निम्नलिखित हैं- मसकेटीयर्स सीरीज- (१) ले त्रोओ मुसकतेर, (२) व्हें ताँ, (३) ल व्हि काँत द ब्राज लॉव तथा व्हाल्वा सीरीज- (१) ला रेन मारगॉ, (२) ला दाम द मॉन सोरो, (३) ले काराँत सेंक, (४) ला तुलिप नॉर, (५) मेमवार दँ मेदसें (६) ल कोलियर द ला रेन, (७) ल शेव्हालियर मेजाँ रूज, (८) ले कॉम्पानोद जेहु। आपका सर्वाधिक प्रिय एवं प्रसिद्ध उपन्यास ल कॉन्त द मॉन्त क्रिस्तों है। इसमें आपके व्यक्तित्व एवं युग की अभिव्यक्ति है।

दुमा एक हिर्दर्शी आधुनिक साहित्यकार फ्रेंच शक्ति, प्रज्ञा तथा बुद्धि के प्रतिनिधि, संसार के समस्त युवकों के स्नेहभाजन एवं उदात्त साहसिकता के प्रतीक और चित्रकार थे। [ मुकुंद मोरेवर देसाई]