ड्यूटीरियम एवं ट्रिटियम (Deuterium and Tritium) हाइड्रोजन तत्व के तीन समसथानिक (isotopes) ज्ञात हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या १,२ और ३ है। द्रवयमान संख्या २ और ३ के समसथानिकों को क्रमश: ड्यूटीरिमय और ट्रिटियम कहते हैं। यह भौतिक एवं रसायन विज्ञान में अपवाद हैं, क्योंकि सामान्यत: किसी तत्व के समस्थानिकों के अलग नाम नहीं रखे जाते।
ड्यूटीरियम स्थायी तथा ट्रिटियम अस्थायी समसथानिक है। ट्रिटियम में रेडियधर्मिका का गुण है। यह बीटा कण मुक्त कर ही३ (He3) में परिणत हो जाता है (अर्धजीवन-अवधि १२.५ वर्ष)।
ड्यूटीरियम की खोज १८३१ ई० में अमरीकी वैज्ञानिक यूरे (Urey) ने की। तत्पश्चात् उन्होंने इसे साधारण हाइड्रोजन से पृथक् भी किया। १९३९ ई० में एलवेरेज़ (Alvarez) एवं कॉर्नाग (Cornog) ने ड्यूटीरियम पर ड्यूटीरियम कण के आक्रमण द्वारा ट्रिटियम का निर्माण किया:
१ ड्यूटीरियम २ + १ ड्यूटीरियम २ ® १ ट्रिटियम ३ + १प्रोटान १
[ 1D2 + 1D2® 1T3 + 1H1 ]
ऐसा अनुमान है कि उच्च वायुमंडल में अंतरिक्ष करण (cosmic rays) द्वारा उत्पन्न न्यूट्रॉन नाइट्रोजन से अभिक्रिया कर ट्रिटियम बनाते हैं:
७ नाइट्रोजन १४ + ० न्यूट्रान १ ® ६ कार्बन १२ + 1 ट्रिटियम ३
(7N 14 + 0n1® 6C12 + 1T3)
ड्यूटीरियम, हाईड्रोजन एवं उसके यौगिकों में ०.०१५ प्रति शत मात्रा में उपस्थित रहता है। ट्रिटियम प्राकृतिक जल में अति सूक्ष्म मात्रा (१ भाग हाईड्रोजन में १०-१८ भाग) में रहता है।
क्षारीय जल के विद्युद्विच्छेदन द्वारा मुक्त हाईड्रोजन में डद्ययूटीरियम का प्रति शत सामान्य हाईड्रोजन से कम होता है। इस कारण बचे जल में ड्यूटीरियम का प्रति शत बढ़ जायगा। यदि १०० लीटर जल का विच्छेदन करने पर केवल १ मिलीलीटर जल बचे तो उसमें लगभग सारा ड्यूटीरियम जल (D2O) होगा। इसे भारी जल (heavy water) भी कहते हैं। इस लज के विघटन करने से डयूटीरियम की उत्पत्ति होगी।
३लीथिम ६ + ० न्यूट्रान १ ® २ हीलियम ४ + १ ट्रिटियम ३
(3Li6 + 0n1® 2He4+ 1T3)
सामान्यत: किसी तत्व के समस्थानिकों के भौतिक एवं रासायनिक गुणों में अंतर नहीं होता, परंतु हाइड्रोजन के समस्थानिकों में यह अंतर विशेष रूप से वर्तमान है। इनके कुछ गुणधर्म निम्नांकित हैं:
हाइड्रोजन | ड्यूटीरियम | ट्रिटियम | |
संकेत | H | D | T |
परमाणु संख्या | 1 | 1 | 1 |
परमाणु भार | १.००७९७ | २.०१४६ | ३.०१६९ |
क्वनांथक | २०.३९ | २३.६७ | २५.०४ |
त्रिक्अंक | १३.८६ | १८.७३ | २०.६२ |
(Triple point) (के० केल्विन ताप)
ड्यूटीरियम और ट्रिटियम के यौगिकों के गुणधर्म सामान्य हॉइड्रोजन के यौगिकों से भिन्नता रखते हैं। उदाहरण के लिये सामान्य जल और भारी के गुणों में बहुत भिन्नता है:
जल, हा२ औ (H2O) | भारी जल, डूयू २ औ (D2O) | |
घनत्व २५° सें० पर | १.००००० | १.१०७७५ |
गलनांक | ०° सें० | ३.८१° सें० |
क्वथनांक | १००° सें० | १०१.४१° सें० |
महतम घनत्व का ताप | ३.९८° सें० | ११.२° सें० |
क्रांतिक ताप | ३७४.२° सें० | ३७१.५° सें० |
श्
भारी जल को जीव एवं पौधे नहीं ग्रहण कर सकते, क्योंकि यह जीव पदार्थो के लिये हानिकारक है। ड्यूटीरियम के अन्य यौगिक भी सजीव पदार्थो के लिये विषैले होते हैं। ट्रिटियम के यौगिकों के गुण और भी भिन्न होते है।
ड्यूटीरियम और ट्रिटियम दोनों का प्रदर्शक समस्थानिक (isotopic tracers) के रूप में उपयोग होता है। इनके द्वारा अनेक जीवरासायनिक (biochemical) क्रियाओं का निरीक्षण संभव हुआ है। ड्यूटीरियम ऑक्साइड, अथवा भारी जल का, परमाणु रिऐक्टर (atock reactor) में मंदक (moderator) के रूप में उपयोग हुआ है।
ड्यूटीरियम और ट्रिटियम के नाभिकों के संगलन द्वारा हीलियम की उत्पत्ति होती है, जिसमें कुछ संहति ऊर्जा में परिणत हो जाती है। इस कारण डद्ययूटीरियम और ट्रिटियम का उपयोग तापनाभिकीय (thermonuclear) बम तथा अन्य अनुसंधानों में हो रहा है। [ रमोचंद्र कपूर]