डेनमार्क स्थिति: ५५ ३० उ०अ० तथा ९ पू० दे०। डेनमार्क साम्राज्य के अन्तर्गत डेनमार्क, फेयरो द्वीप तथा गीनलैंड (देखें ग्रीनलैंड) संमिलित हैं। संपूर्ण डेनमार्क में जटलैंड प्रायद्वीप तथा अन्य पाँच सौ द्वीप संमिलित हैं। संपूर्ण डेनमार्क में जटलैंड प्रायद्वीप तथा अन्य पाँच सौ द्वीप संमिलित हैं। संपूर्ण डेनमार्क साम्राज्य का क्षेत्रफल १६,५३० वर्ग मील है। इसकी दक्षिणी सीमा ४२ मील तक जर्मनी से लगी हुई है और शेष भूभाग जल से घिरा हुआ है। इसके उत्तर में स्कागेराक (Skagerrak), पूर्व में काटेंगाट (Kattegat), अरेसन (Oresund), और बाल्टिक सागर तथा पश्चिम में नार्थ सी हैं। बाँनेहात्म द्वीप को छोड़कर संपूर्ण डेनमार्क में चाक (Chalk) ऊपर हिमनद निक्षेप पाए जाते हैं। डेनमार्क का पृष्ठ छोटी पहाड़ियों खादर, मेडों (Chalk) तथा पहड़ी द्वीपों इत्यादि से युक्त है। यहाँ पर बहुत सी छोटी नदियाँ और आंतरस्थलीय सागर हैं। खाड़ियों द्वारा बने अच्छे प्राकृतिक बंदरगाह यहाँ हैं। यहाँ की औसत ऊँचाई ९८ फुट और दक्षिण पूर्व जटलैंड में सर्वोच्चय ऊँचाई ५६६ फुट है।

डेनमार्क का जलवायु शीतोष्ण है, जिसकी मंदता पश्चिमी हवाओं तथा जल से घिरे होने के कारण प्रतिबंधित है। दिन और रात के ताप में बहुत कम उतार चढ़ाव होता है, किंतु हवा की दिशा में अचानक परिवर्तन होने से ताप में परिवर्तन हो जाता है। यहाँ की वार्षिक वर्षा २४ है। यहाँ फर्न, फूल, कवक और मॉस की कई जातियाँ (Species) पाई जाती है। कुछ बड़े जंगली जानवर भी पाए जाते हैं। यहाँ चिड़ियाँ बहुतायत से होती है, जिनकी कई जातियाँ डेनमार्क में प्रजनन करती हैं और पतझड़ तथा जाड़े में गर्म देशों को चली जाती है। मछलियां और कीट भी यहॉ बहुतायत से पाए जाते है।

संपूर्ण डेनमार्क साम्राज्य की जनसंख्या ४५,८५,२५६ (१९६०) थी। यहाँ की राजधानी कोपेनहेगेन की जनसंख्या ९,२३,९७४ (१९६०) थी।

यहाँ की तीन चौथाई भूमि पर खेती होती है। अधिकांश भूभाग पर प्राकृतिक या बुआई द्वारा चारा हाता है। कृषियोग्य भूमि में आलू, चुकंदर इत्यादि की खेती होती है। सेव की खेती में पर्याप्त प्रगति हुई है। फूल, चारा और तिलहन इत्यादि की खेती में भी उन्नति हुई है। यद्यपि भूमि बहुत उपजाऊ नहीं है, फिर भी यंत्रीकरण एवं उर्वरक के अत्यधिक उपयोग के कारण उपज की मात्रा तथा गुण में वद्धि हो गई। उपज का बड़ा भाग निर्यात कर दिया जाता है। किसान केवल घर का मालिक हाता है, खेतों का स्वामित्व सरकार के पास है। कुछ छोटे खेतों का स्वामित्व किसानों के पास है, जिनका किराया उन्हें देना पड़ता ह।

डेनमार्क पशुपालन के लिये विश्वविख्यात है। यहाँ पशुओं की देखरेख का उच्च मानक निर्धारित है और इसके लिये कुशल श्रमिक, वैज्ञानिक प्रयोग और अनुसंधानयंत्रों का उपयोग तथा पशुफार्मो का बहुमुखी प्रबंध किया गया है। ९० प्रतिशत सहकारी फार्म हैं और ये अपने प्रतयेक उत्पादन की शुद्धता के लिये गारंटी देते है। मांस, डेरी उत्पादन तथा अंडा निर्यात की वस्तुओं में प्रमुख स्थान रखते हैं। लगभग ६० वर्षो से कृषि पशुधन पर आधारित है। मछली यहाँ एवं तैयार दोनों प्रकार की मछलियाँ निर्यात की जाती हैं। यहाँ काड, स्प्रैंट, ट्रॉट, ईल इत्यादिमछलियाँ पकड़ी जाती हैं। चूना पत्थर, चाक तथा मार्ल (marl) के निक्षेप जटलैंड में पाए जाते हैं। केओलिन बॉनेहाल्म द्वीप में पाया जाता है। लिग्नाइट तथा पीट का भी उत्खनन यहाँ होता है पर १९४५ ई० से इनका उत्पादन कम हो गया है। यहाँ नमक के निक्षेप भी पाए गए हैं। यहाँ पेट्रोलियम नहीं मिलता।

धातुकर्म, रसायनक, फर्मास्यूटिकल तथा जहाज निर्माण उद्योगों ने यहाँ पर्याप्त उन्नति की है। यहाँ की दस्तकारी महत्वपूर्ण है। यहाँ के पत्थर, मिट्टी, काच तथा चाँदी के उत्पादन भी प्रख्यात हैं। डेरी मशीन, सीमेंट बनाने की मशीन, डीजल इंजन, विद्युनतोटर, मशीन के औजार, प्रशीतन उपकरण, सूती वस्त्र तथा पोशाक का निर्यात हाता है। यहाँ मानव शक्ति की कमी के कारण औद्योगिक उन्नति में बाधा पड़ रही है।

फेयरी द्वीपसमुह स्थिति : ६१ २६ से ६२ २४ उ० अ० तथा ६ १५ से ७ ४१ प० दे०। यह डेनमार्क का अधीनस्थ राज्य है। यह ऐटलैटिक सागर में स्काँटलैंड से उत्तर में स्थित है। १९ द्वीपों में से १८ पर लोग रहते हैं और इनका क्षेत्रफल ५४० वर्ग मील है। यहाँ का जलवायु मृदुल वर्षावाला है। उत्तरी ऐटलैटिक धारा के कारण बंदरगाह जमने नहीं पाते। यहाँ की जनसंख्या ३४ ५९६ (१९६०) थी। यहाँ मछली पकड़ना मुख्य उद्योग है और ३६ प्रतिशत जनता इसी उद्योग पर जीवननिर्वाह कर रही है। यहां केवल आलू की खेती होती है। यहाँ की अर्थव्यवस्था डेनमार्क के अधीन है। [ अ०ना०मे०]

इतिहास - डेनमार्क का प्राचीन इतिहास अज्ञात है। यहाँ के प्रथम ईसाई सम्राट् हेराल्ड ब्लूटूथ (Herald bluetooth) ने नार्वे को जीता, और उसके पुत्र स्वेन (च््ध्रड्ढन्र्द) ने इंग्लैंड पर विजय प्राप्त की। ११बी शताब्दी में कैन्यूट (Canute) के शासनकाल में इंग्लैंड, नार्वे और डेनमार्क तीनों एक ही राज्य के अंग थे। लेकिन कैन्यूट की मृत्यु के पश्चात् इंग्लैंड और नार्वे डेनमार्क के आधिपत्य से मुक्त हो गए। बाद में लगभग ३०० वर्षो तक स्वीडन और नार्वे पर डेनमार्क का पुन: आधिपत्य रहा। स्कैडिनेवियन संघ १५२३ में विघटित हुआ किंतु नार्वे १८१४ तक डेनमार्क से संबंद्ध रहा। स्वीडेन के साथ युद्ध में अनेक प्रदेश डेनमार्क के हाथ से निकल गए।

नेपोलियन के साथ संधि करने के परिणामस्वरूप नार्वे स्वीडेन से मिल गया। १८४८-४९ और १८६४ में प्रज्ञा के विरूद्ध युद्ध में डेनमार्क के कुछ दक्षिणी प्रांत प्रशा के अधिकार में चले गए। तत्पश्चात् डेनमार्क वासियों ने अपनी आर्थिक अवस्था समुन्नत करने की दिशा में अपने आपको लगाया। इस हेतु अनेक आर्थिक परिवर्तन किए गए: डेयरी आदि उद्योगों से देश की स्थिति बड़े पैमाने पर बदली।

प्रथम विश्वयुद्ध में डेनमार्क तटस्थ रहा। १९४० में जर्मनी ने आक्रमण किया और १९४५ तक डेनमार्क का एक प्रांत अपने अधिकार में रखा। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् देश ने कृषि और उद्योग दोनों क्षेत्रों में प्रशांसनीय प्रगति की। रोजगार और व्यापार की समस्याएँ व्यापक ढंग पर हल हुई। १९५३ में रचित संविधान के अनुसार एक सदनीय सरकार की व्यवस्था हुई।

डेनमार्क कृषिप्रधान देश रहा है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् उद्योगों में पगति हुई। इस समय राष्ट्रीय आय का अधिक भाग कृषि की अपेक्षा उद्योगों से ही प्राप्त होता है। समुद्र से घिरा होने के कारण पोत परिवहन से भी देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा बल मिलता है। उत्पादनक्षमता में निरंतर वृद्धि हुई है। क़षिगत उत्पादन भी बढ़ा है। किंतु श्रमशक्ति में ्ह्रास हुआ है। औद्योगिक क्षेत्रों में भी लगभग यही स्थिति है।

डेनमार्क धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। ९७ऽ निवासी लूथरन चर्च (Lutheran church) के अनुयायी हैं। शेष में रोमन कैथोलिक, यहूदी, और अन्य धर्मावलंबी हैं।