डेडेकिंड, रिचार्ड (Dedekind, Richard, १८३१-१९१६ ई०) जर्मप गणितज्ञ, का जनम ६ अक्टूबर १८३१ ई० को ब्राउनश्वाइग में और शिक्षा गटिंगन में हुई। सर्वप्रथम से गटिंगन में लेक्चरर (१८५४-५८ ई०), तदुपरांत पॉलिटेक्निक, ज्यूरिख, (१८५८-६२ ई०) और टेकनिकल हाई स्कूल, ब्राउनश्वाइंग, में गणित के प्रोफेसर रहे। गणित को इनकी दो अपूर्व देन हैं। प्रथम है: डेडेकिड का संख्याआं का सिद्धान्त, जिसमें इन्होंने परिमेय संख्याआं के समुदाय की प्रत्येक काट से किसी संख्या को और अपिहित काट से किसी अपरिमेय संख्या को परिभाषित किया। इनकी द्वितीय देन है: आदर्शो क निर्माण करके समस्त बीजीय पूर्ण संख्याआंेंें का अद्वितीय, अभाज्य गुणानखंडों में विश्लेषण। आदर्श कोई एक संख्या नहीं, अपितु संख्याओं की एक अनंत कक्षा है। इनका प्रसिद्ध स्टटिग्काइट उंट इरस्योिनाले त्साह्लेनण्, (Stetigkeit und Irrational Zahlen, १८७२ ई०) है। १२ फरवरी १९१६ ई० की इनकी मृत्यु हो गई। [ रामकुमार ]