डेड सी स्थिति: ३१� ३०� उ० अ० तथा ३५� ३०� पू० दे०। यह जार्डन और इजराएल की सीमा पर स्थित विश्व की अत्यधिक खारे पानी की झील है। इसे अरबी भाषा में वहरेत लूट (Bahret Lut) भी कहते है। ७५.२ किलोमीटर लंबे तथा १४.४ किलोमीटर चौड़े इस जलखंड का भूगर्भवेताओं ने मायोनीन युग की एक विभ्रंश घाटी (rift valley) का भाग माना है। यह विभ्रंश घाटी दक्षिण अफ्रीका की निऐसा झील से प्रारंभ होकर विक्टोरिया आदि झीलों तथा लाल सागर हाती हुई जार्डन की घाटी तक फैली हुई है। यह अब तक अन्वेषित संसार की सबसे गहरी विभ्रंश घाटी है और समीपवर्ती भूमध्यसागर की सतह से ३६३.८ मीटर नीची है। शुष्क प्रदेश में स्थित होने के कारण जल की पूर्ति कम हो पाती है। जार्डन ही प्रमुख नदी है, जो उत्तर से आकर इसमें मिलती है। इस नदी द्वारा प्रति दिन लगभग ६०,००,००० गैलन जल इसमें गिरता है।
इतिहास एवं पुरातत्व की दृष्टि से इस सागर और समीपवर्ती क्षेत्र का अधिक महत्व है। दक्षिणी तट पर कुछ ऐतिहासिक नगरों एवं बस्तियों के अवशेष मिलते हैं, जो इसकी प्रस्थिति का द्योतक है। इनमें सोडम (Sodom) और गोमोनाह (Gomonah) के अवशेष विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ऐसा अनुमान है १९०० ई० से अब तक इसका तल लगभग ६.१ मीटर (२० फुट) ऊपर उठ गया है।
खारेपन मे यह विश्व का बेजोड़ सागर है। इसमें लगभग २७ प्रतिशत ठोस पदार्थ जल में घुले हुए हैं, जो इसके जल के घनत्व को १.१६६ कर देते हैं। इस सागर के पूर्वी एवं पश्चिमी तट की रचना भी विभिन्न है। पूर्व में बालू के पत्थर द्वारा निर्मित भी आव प्लैटो है जो १,३०० मीटर से अधिक ऊँचा है और पश्चिमी तट चूने के पत्थर की चट्टानों से निर्मित हैं, जो सागर की सतह से लगभग ६५० मीटर (२००० फुट) ऊँची है।
सागर के खारेपन ने जल जतुओं का जीवन दूभर कर दिया है और फलस्वरूप पक्षियों का कलरव भी सुनने को नहीं मिलता। केवल थोड़े से उत्तरी भाग में, जहाँ तक जार्डन नदी के जल का प्रभाव रहता है, कुछ जलजीव जीवित रहते हैं [ कैलाशनाथ सिंह]