डीज़ल रुडॉल्फ (सन् १८५८ - १९१३), जर्मन इंजीनियर, का जन्म पैरिस में हुआ था। इनके मातापिता सन् १८७० से इंग्लैंड में रहने लगे, किंतु अपेन बेटे को इन्होंने जर्मनी में ऑग्सवर्ग और म्यूनिख के कालेजों में पढ़ने भेजा। शिक्षा के पश्चात् ये कुछ काल तक पैरिस में शीतक यंत्रों के एक कारखाने के मैनेजर रहे, किंतु फिर म्यूनिख लौट गए!
म्यूनिख में इन्होंने वे अनुसंधान आरंभ किए जिनके आधार पर भविष्य में डीज़ल इंजन बना। सन् १८९३ में इन्हीं अनुसंधानों से संबंधित ग्रंथ � � दि थ्योरी ऐंड कंस्ट्रक्शन ऑव ए रेशनल हीट मोटर� � नामक गंथ इन्होंने लिखा। इसी वर्ष क्रुप तथा ऑग्सबर्ग के कारखानों में डीज़ल इंजनों का निर्माण आरंभ हुआ, किंतु इसको व्यावहारिक रूप देने में इन्हें चार वर्ष लगे।
सन् १८९९ में इन्हीं इंजनों के बनाने का कारखाना इन्होंने ऑग्सबर्ग में खोला और अपना शेष जीवन इन इंजनों को पूर्ण रूप से उपयोगी बनाने में बिताया। फिर भी ये इनसे विशेष आर्थिक लाभ न उठा सके और न इनकी पूर्ण उपयोगिता देखने के लिये जीवित ही रहे। सितंबर, सन् १९९३ की एक रात, ऐंटवर्प से हारिविच जाते हुए, जहाज से समुद्र में गिरकर ये डूब गए। (भगवानदास वर्मा)