डिरैक, पॉल एड्रियन मॉरिस (P. A. M. Dirac) का जन्म ब्रिस्टल (इंग्लैंड) में ९ अगस्त, सन् १९०२ में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा 'मर्चेंट वेंचरर्स सेकेंडरी स्कूल' में हुई। ब्रिस्टल विश्वविद्यालय से सन् १९२१ में विद्युत् संबंधी इंजीनियरिंग लेकर इन्होंने बी० एस० सी० की योग्यता प्राप्त की। उसके पश्चात् दो वर्ष तक ये ब्रिस्टल में ही गणित का अध्ययन करते रहे और फिर गणित में अनुसंधान का कार्य करने के लिए सेंट जॉन्स कालेज, केंब्रिज पहुँचे। १९२६ ई० में वहाँ से इन्होंने पी-एच० डी० की उपाधि प्राप्त की और १९२७ ई० में सेंट जॉन्स कालेज के फेलो (Fellow) नियुक्त किए गए। इसके उपरांत इन्होंने यूरोप तथा अमरीका के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कार्य किया। सन् १९३२ से ये केंब्रिज में गणित के ल्यूकेशियन (Lucasian) प्रोफ़ेसर हैं।

१९३० ई० में लंदन की 'रॉयल सोसायटी' के ये फेलो नियुक्त हुए। सन् १९३३ में प्रोफ़ेसर श्रोडिंजर (Schrodinger) के साथ इन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।

इन्होंने इलेक्ट्रॉन (electron) के गुणों का सर्वप्रथम संतोषप्रद स्पष्टीकरण किया और उन्हीं सिद्धांतों के आधार पर पॉज़िट्रॉन (positron) की भविष्यवाणी की, जो बाद में डा० ऐंडरसन के प्रयोगों से ठीक प्रमाणित हुई। आपकी लिखी पुस्तक प्रिंसिपुल्स ऑव क्वांटम मिकैनिक्स (Principles of Quantum Mechanics), जिसके चार संस्करण निकल चुके हैं, अपने विषय की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में से है। [एल. एस. कोठारी]