डिज़रेली, आइजक एक स्पेनी यहूदी का पुत्र, जन्म १७६६ में एनफील्ड में हुआ। उसका पिता सन् १७४८ में वेनिस से आकर इंग्लैंड में बस गया था। वह अपने लड़के को वाणिज्य व्यापार में लगाना चाहता था किंतु युवक डिजरेली इसके विरुद्ध था। उसने इस विषय पर एक लंबी कविता लिखी जिनमें व्यापार व्यवसाय के प्रति उसका विरोध स्पष्ट प्रकट होता था। फ्रांस की यात्रा के समय उसने कुछ समय पेरिस की साहित्यक मंडली में बिताया। १७८८ में लंदन लौटने के बाद उसने 'जेंटिलमैंस मैगजीन' में एक कविता लिखी जिससे प्रभावित होकर एच. जे. पाई ने उसके पिता को समझाया कि आइजक को व्यवसाय में लगाना भूल होगी। १७९० में डिजरेली ने 'ए डिफेंस ऑव पोएट्री' (कविता का पक्षपोषण) नामक पुस्तक लिखी जो पाई के नाम समर्पित की गई। उसकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तक 'क्यूरिआसिटीज ऑव लिटरेचर' है। उसकी अन्य रचनाएँ हैं - 'लिटररी रीक्रिएशंस' (साहित्यिक मनोरंजन), 'कालामिटीज ऑव आथर्स' (लेखकों की विपत्तियाँ), 'क्वारल्स ऑव आथर्स' (लेखकों के झगड़े)। उसने तीन उपन्यास तथा दो ऐतिहासिक ग्रंथ भी लिखे। १८४८ में उसकी मृत्यु हुई।