डारीम (Tarim) १. मध्य एशिया की नदी है। १,२५० मील लंबी यह नदी काशगर और यारकंद नदियों के मिलने से बनी है। संगम के बाद २३० मील उत्तर-पश्चिम में आक्सू नदी उत्तर से आकर इसमें मिलती है। २० मील के बाद खोतान नदी दक्षिण से आकर इसमें मिलती है। खोतान नदी केवल ४० दिनों तक इसे जल दे पाती है। बग्राच कोल (Bagrach-kol) झील से निकलकर कोंचेह (Koncheh) नदी इसमें ४० उत्तरी अक्षांश पर स्थित आइरिल्गन (Airylgan) नामक स्थान में मिलती है। कारा बुरान (Kara Buran) और लॉप नॉर (Lop Nor) नामक दो झीलें इसके मार्ग में पड़ती हैं। दिसंबर से फरवरी मास तक नदी जमी रहती है और ग्रीष्म ऋतु आने पर बर्फ पिघलने से इसमें बाढ़ आ जाती है।

२. बेसिन, टिएनशॉन तथा कुमलुन पर्वतों के मध्य में स्थित है। इस बेसिन का क्षेत्रफल ३,५०,००० वर्ग मील है। इसे चार भागों में विभक्त किया जा सकता है : १. ताकलामाकान मरुभूमि -- इसके उत्तर में यारकंद नदी, पूर्व में डारीम नदी और पश्चिम में तिस्नफ (Tisnaf) है। २. ओसिस पट्टी -- इसके दक्षिण में टिएनशान, पूर्व में पामीर और दक्षिण में कराकोरम तथा कुनलुन है। उत्तर तथा पश्चिम में खेती योग्य भूमि दक्षिण की अपेक्षा अधिक है। ३. लाप और तुर्फान बेसिन -- इसके अंतर्गत मरूद्यान, मरुभूमि तथा कृषियोग्य भूमि पाई जाती है। ४. सुलहो बेसिन तथा कृषियोग्य भूमि -- इसमें पूर्णरूपेण सिंचाई पर आश्रित कृषिक्षेत्र हैं, जो तुन हांग ओसिस के पास है। इसके दक्षिण में नानशॉन पर्वत की तलहटी तक बालू के टीले दिखाई पड़ते हैं। [कैलाशनाथ सिंह]