डाइरेन स्थिति : ३९ ०' उ० अ० तथा १२१ ३५' पू० दे०। यह दक्षिण मैंचूरिया में ग्वांगदुंग (Kwantung) प्रदेश में बंदरगाह है। यह चीन द्वारा रूस को ठेके पर दिया गया था। युद्ध के बाद रूस ने इसे जापान को हस्तांतरित कर दिया। १९०७ ई० के बाद यह मुक्त बंदरगाह था। १९३१ ई० में इसका महत्व काफी बढ़ गया क्योंकि जापान द्वारा मैंचूरिया में सैनिक रसद पहुँचाने का यह प्रमुख द्वार बन गया। यह दक्षिणी मैंचूरियन रेलवे का प्रमुख केंद्र भी था। अब भी यहाँ अच्छे औद्योगिक कारखाने हैं। द्वितीय महायुद्ध के बाद इसका अधिकांश भाग पोर्ट आर्थर नौसेना अड्डे में मिल गया। [जगदीश सिंह]