डाइनैस्ट्स (The Dynasts) सुप्रसिद्ध अंग्रेजी कवि और उपन्यासकार, टॉमस हार्डी, की विख्यात कलाकृति। यह कृति एक वृहद् काव्य नाटक के रूप में लिखी गई है, जिसका अभिनय केवल कल्पना के रंगमंच पर हो सकता है। यद्यपि इस कृति को नाटक का रूप दिया गया है, तथापि इसमें महाकाव्य (एपिक) के सभी गुण हैं। इस काव्य में हार्डी मनुष्य की भाग्यलीला पर व्यापक दृष्टि डालते हैं और उसे क्रूर भग्य द्वारा त्रस्त प्राणी के रूप में देखते हैं।

यह काव्यनाटक तीन भागों में प्रकाशित हुआ, प्रथम भाग १९०४ में, दूसरा १९०६ में और तीसरा १९०८ में। इस रचना में हार्डी के विचारदर्शन का संपूर्ण विवरण उनके पाठक को मिलता है। किसी पार्थिव रंगमंच पर इस महाकाव्य का अभिनय संभव नहीं। इसे पढ़कर पाठक हार्डी के दर्शन से अवगत होता है।

नेपोलियन की कथा को कवि ने इस ग्रंथ से उठाया है, उसके उत्थान और पतन की अद्भुत कथा को। एक प्रकार से यह कथानक हमें ताल्सताय के महान् उपन्यास 'युद्ध और शांति' का स्मरण दिलाता है। हार्डी नेपोलियन को नियति के दयनीय पुतले के रूप में देखते हैं। नेपोलियन विजयोल्लास से फूला नहीं समाता, परंतु अंतरिक्ष में देवी शक्तियाँ उसकी क्रियाओं को दया की दृष्टि से देखती हैं। वे मानो कहती हैं, मनुष्य कितना दयनीय प्राणी है।

इसी रचना में हार्डी ने अपनी इमनेंट विल (Immanent Will) की कल्पना प्रस्तुत की है। यह विश्व की अंतर्निहित इच्छाशक्ति है, जो जीवन के सभी व्यापारों को परिचालित और प्रभावित करती है। डाइनैस्ट्स पर प्रसिद्ध जर्मन विचारक शोपेनहावर का स्पष्ट प्रभाव है। इस शक्ति के संबंध में हार्डी लिखते हैं :

'यदि यह अपने क्रिया कलापों को समझती,

जो कुछ यह करती है, कदापि न करती।

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कुम्हार के समान अनजाने ही

यह चाक पर बर्तन ढालती है!

क्या प्रेम और आलोक इसके लक्ष्य हैं?

क्या यह अच्छाई चाहती है और बुराई की निंदा करती है?

नहीं, जो कुछ भी विश्व में है,

उसे बदलना ही इसका एकमात्र ध्येय है। [प्रभाकर माचवे]