ट्वानबी, जोज़फ अर्नाल्ड (१४ अप्रैल, १८८६) विश्वविख्यात अंग्रेज इतिहासकार हैं। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने वहाँ और लंदन विश्वविद्यालय में इतिहास के अध्यापन का कार्य किया और विद्या के क्षेत्र में कीर्ति अर्जित की। परराष्ट मंत्रालय के शोध विभाग के संचालक आदि महत्वपूर्ण पदों पर रहकर उन्होंने सरकरी सेवा भी की। पेरिस शांति संमेलन (१९४६) में भाग लेनेवाले इंग्लैंड के वे सदस्य भी थे।

किंतु ट्वनबी ने सबसे बड़ी प्रतिष्ठा महान् इतिहासकार के रूप में पाई है। संसार की प्रमूख भाषाओं की विशिष्ट जानकारी की कुंजियों से अनंत ज्ञानराशि के तहखानों में पैठकर उसे प्रकाश में लाने की अपूर्व क्षमता के साथ ही स्वतंत्र विचारक एवं मौलिक स्रष्टा की गरिमा भी उनमें विद्यमान है। उनकी अमर कृति 'ए स्टडी ऑव हिस्टरी' (१० जिल्द, १९३४-१९५४) इस शताब्दी का अत्यंत प्रभावशाली ऐतिहासिक अध्ययन है। इनमें विश्व की २६ सभ्यताओं के विकास, ्ह्रास ओर पतन का गवेषणात्मक विवेचन किया गया है। ट्वानबी ने आधुनिक पश्चिमी सभ्यता को भी तटस्थ होकर विचारने की चेष्टा की है। किंतु उनका ऐतिहासिक विश्लेषण मुख्यत: धार्मिक दृष्टि से प्रभावित है और उन्हें इतिहास में जीव की ईश्वर की ओर प्रगति दिखाई देती है। उनके विचार में पश्चिमी सभ्यता की रक्षा ईसाई धार्मिक भावना के पुन:जागरण से ही संभव हो सकती है। उनक यह निष्कर्ष सर्वमान्य तो नहीं है, किंतु विश्व की ऐतिहासिक घटनाओं एवं प्रवृत्तियों की उनकी सभी व्याख्याओं को अकेला चुनौती देनेवाला कोई बिरला ही विद्वान् हो सकता है। 'ए स्टडी ऑव हिस्टी' की सभी जिल्दों को प्राय: बिना ऊबे हुए पढ़ सकना कठिन है और साधारणतया सोमरविल को दो जिल्दोंवाला उसका संक्षिप्त संस्करण ही प्रचलित है। ट्वानबी की अन्य पुस्तकों में नैशनैलटी ऐंड वार (१९१५), दि न्यू यूरोप (१९१५), सिविलिजेशन ऑन ट्रायल (१९४१), दि वल्ड्र ऐंड दि वेस्ट (१९५२) एन हिस्टोरियंज ऐप्रोच टु रेलिजन (१९५६) इत्यादि उल्लेखनीय हैं। (शि. गो. वा.)

(विजयराम सिंह)