ट्रेवेलियन, सर जार्ज ओटो (२० जुलाई, १८३६-१६ अगस्त १९२८ ई०) अंग्रेज इतिहासकार और राजनीतिज्ञ। हैरो और ट्रिनिटी में शिक्षा प्राप्त कर वे अपने पिता सर सी० ई० ट्रेवेलियन के निजी सचिव का कार्य करने के लिये १८६२ ई० में भारतवर्ष आए। यहाँ से उन्होंने भारतीय विषयों पर अनेक पत्र एवं लेख लिखे जो आगे चलकर 'दि कांपटीशनवाला' (१८६४ ई०) और 'कानपुर' (१८६५ ई०) नाम से संगृहीत हुए। १८६५ से १८९७ ई० तक कामन्स सभा के सदस्य रूप में उन्होंने अंग्रेजी राजनीति में सक्रिय भाग लिया। इस बीच मंत्रिमंडल के सदस्य और अनेक सरकारी पदों पर रहकर उन्होंने अपनी प्रशासकीय योग्यता और राजनीतिक बुद्धिमत्ता का भी परिचय दिया। वे उदारवादी सिद्धान्त के पोषक, मजदूरों के मताधिकार की माँग के समर्थक और सेना में कमीशन क्रय किए जाने की धाँधली के घोर निंदक थे। फॉस्टर के शिक्षा विधेयक और ग्लैडस्टन के होमरूल विधेयक के विरोध में नौसेना के सिविल लार्ड (१८७० ई०) और स्काटलैंड के सचिव (१८८६ ई०) के पदों को छोड़कर उन्होंने अपना विचारस्वातंत्र्य, इमानदारी और निर्भीकता प्रकट की। उसी वर्ष संघीय उम्मीदवार के रूप में पार्लिमेंट के आम चुनाव (१८८६ ई०) में हार जाने पर यदि वे चाहते तो अनुदार दल में सम्मिलित हो सकते थे, किंतु ऐसा न कर उन्होंने अपनी राजनीतिक सिद्धांतवादिता प्रदर्शित की और ग्लैडस्टन से समझौता कर लिया। १८८७ ई० में पार्लिमेंट के एक उपचुनाव में वे पुन: जीत गए और अंत तक ग्लास्गो के एक निर्वाचनक्षेत्र ब्रिजटन का प्रतिनिधित्व करते रहे।
लेखक और इतिहाकार के रूप में ट्रेवेलियन की कीर्ति का आधारस्तंभ 'द लाईफ एंड लैटर्स ऑव लार्ड मैकाले' (१८७६) नामक उनकी पुस्तक है। साथ ही उनकी अन्य प्रसिद्ध कृतियाँ हैं: अर्ली हिस्ट्री ऑव चार्ल्स जेम्स फाक्स' (१८८० ई०) 'दि अमेरिकन रिवोलूशन' (जिल्द १,२,३,४ऽ१९०९) और जार्ज तृतीय तथा चार्ल्स फाक्स (जिल्द १,१९१२ - जिल्द २, १९१४ ई०) आदि।
(शवगोपाल वाजपेयी)