टूमन, हैरी एस० संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति। इनका जन्म ८ मई, १८८४ को लामार (मिसूरी) में हुआ था। पिता क नाम जॉन ऐंडरसन ट्रूमन और माँ का नाम मार्था एलेन था। जीवन के प्रारंभिक दिनों में अपनी शिक्षा के साथ साथ टूमन अपने पिता के खेतों में भी काम करते थे। प्रतिभाशाली छात्र के रूप में १७ साल की अवस्था में उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। सैन्य जीवन से मोह होने के कारण उन्होंने न्यूयार्क के सैनिक शिक्षणालय में जाना चाहा लेकिन आँख कमजोर होने के कारण अन्य सभी दृष्टियों से योग्य होते हुए भी वे न जा सके। इसके बाद अगले पाँच साल उन्होंने कैन्सास में अपने को जमाने की कोशिशें कीं लेकिन हारकर घर लौटना पड़ा। सन् १९१७ में अमरीका विश्वयुद्ध में शामिल हुआ तो उन्हें सेना में आने का अवसर मिल गया। आर्टिलरी यूनिट के साथ प्रथम लेफ्टिनेंट के रूप में उन्हें फ्रांस भेजा गया। युद्धक्षेत्र में उनकी योग्यता ने उन्हें १९१८ तक कैप्टेन के पद तक पहुँचा दिया। अमरीका लौटकर सन् १९१९ की २८ जून को उन्होंने बेस वैलेस से शादी की। इसके बाद कैंसास में ही उन्होंने व्यावसायिक कार्य प्रारंभ किया लेकिन इस बाद भी वे असफल ही रहे। इसमें करीब २०,००० डालर के वे कर्जदार भी हो गए। यह कर्ज चुकाने में उन्हें पूरे दस साल लगे। लेकिन इस बीच उन्होंने कभी दीवालिया होना स्वीकार नहीं किया। यह उनके जीवन में घोर निराशा का समय था।

इसके बाद वे अपने एक सैनिक मित्र की सहायता से डेमोक्रेटिक नेता पैडरगास्ट से मिले। टाम जे० पेंडरगास्ट कैंसास के शासन प्रमुख और अत्यंत व्यवहारकुशल व्यक्ति थे। उन्होंने ट्रूमन की जैक्सन काउंटी के न्यायाधीश पद के चुनाव में सहायता की। दुबारा १९२६ में वे प्रसीडेंसी के न्यायाधीश हुए। इस पद पर वे सिनेटर होने तक कार्य करते रहे। ट्रूमन की सिनेट सदस्यता के पहले सत्र (१९३५-१९४१) में कोई विशेषता नहीं थी पर दूसरी बाद सिनेट में आने के बाद ही उन्होंने अमरीकी शासन में अपनी अनिवार्यता सिद्ध कर दी। प्रतिरक्षा योजनाओं में व्यय होनेवाले धन के बारे में सरकार के सम्मुख ट्रूमन ने एक जाँच समिति की स्थापना का प्रस्ताव रखा। बाद में वे ही स्वयं इस समिति के अध्यक्ष भी बने। इस समिति ने अपने कार्यकाल में करोड़ों डालर की बचत करके सरकार को लाभ पहुँचाया। इस ओर पर्याप्त ख्याति अर्जित करने के कारण १९४४ में डेमोक्रेटिक कन्वेन्शन के अवसर पर अमरीका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने उपराष्ट्रपति पद के लिये ट्रूमन का समर्थन किया। सन् १९४५ में कार्यालय समाप्त होने से पहले ही अचानक राष्ट्रपति रूजवेल्ट की मृत्यु हो जाने पर ट्रूमन राष्टपति बने। अनेक समस्याओं में वे रूजवेल्ट की नीति से प्राय: अनभिज्ञ ही रहे थे इसलिये उनके लिये प्रशासन सबसे अधिक जटिल साबित हुआ। राष्ट्रपति होने के बाद पहली दो महत्वपूर्ण घटनाएँ हुई हिरोशिमा पर अमरीका द्वारा अणुबम टूमन के आदेश पर गिराया जाना और फिर शत्रु राष्ट्रों की पूर्ण पराजय का दिन मनाया जाना। अपनी गृहनीति में उन्हें काफी कठिनाइयाँ उठानी पड़ीं क्योंकि कोरिया के शीतयुद्ध ने अमरीका की अंतरराष्ट्रीय जिम्मदारियों को बहुत गंभीर कर दिया। अंतरराष्ट्रीय स्थिति में अमरीका के स्थान को सँभालने की दृष्टि से उन्होंने नाटो संगठन का सूत्रपात्र किया। मार्च, सन् १९५२ में अपना कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही उन्होंने दुबारा चुनाव में भाग लेने की घोषणा कर दी।

(मुद्राराक्षस)