ट्रांक्वेबार मद्रास राज्य (भारत) के तंच्व्रााूर (तंजोर) जनपद में पूर्वी समुद्रतट पर स्थित छोटा नगर, जो नेगापट्टम से १८ मील उत्तर-दक्षिण रेलमार्ग की तंच्व्रााूर कड्डालोर शाखा से संबंद्ध मयूराम ट्रांक्वेबार रेलमार्ग का अंतिम स्थान (टर्मिनस) है। उत्तर मध्यकाल में यह व्यस्त तथा प्रसिद्ध उपक्षेत्रीय बंदरगाह था लेकिन १९वीं सदी में नेगापट्टम को रेलमार्ग की सुविधा मिल जाने के करण इसका स्थैतिक महत्व (locational advantage) समाप्तप्राय हो गया और इसका अधिकांश व्यापार नेगापट्टम की ओर अभिमुख हो गया। डेनिश लोगों ने इसकी सुंदर स्थिति देखकर १६२० ई. में ही यहाँ एक कारखाना स्थापित किया। १८०१ ई. में इसे अंग्रेजों ने छीन लिया परंतु १८१४ ई. में पुन: लौटा दिया। १८४५ ई. में अंग्रेजों ने ट्राक्वेबार के साथ साथ भारत स्थित सारी डेनिश बस्तियाँ खरीद लीं। यहाँ प्रोटेस्टेंट (ईसाई) मतवालों ने १७०६ ई. में एक मिशनरी स्थापित की जो अन्य संबद्ध संस्थाओं के साथ अब भी विद्यमान है (कााीनाथ सिंह)