टोडरमल, राजा मुगल सम्राट् अकबर के एक प्रमुख दरबारी। इनके जन्मस्थान के संबंध में मतभेद है। अधिकतर विद्वान् लाहौर के पास चूँनिया गाँव को इनकी जन्मभूमि मानते हैं। फैरर महोदय ने जिला सीतापुर में इनका जन्म हुआ माना है। अकबर की सेवा में आने के पहले टोडरमल शेरशाह के राज्य में काम करते थे। कुशाग्र बुद्धि होने के कारण सभी इनसे प्रसन्न रहते थे। अकबर ने इन्हें चार हजारी मंसब दिया था। इनकी विशेष ख्याति अकबर के भूमि एवं अर्थमंत्री के रूप में रही है। सन् १५७४ ई. में पटना को जीतने के पुरस्कार स्वरूप इन्हें बहुत अधिक सम्मान प्राप्त हुआ, मुनइम खाँ के सहायक बनकर इन्होंने बंगाल में बड़ी वीरता का परिचय दिया।
बंगाल के सूबेदार खानजहाँ के सहायक के रूप में इन्होंने काम किया। इसके अनंतर अपनी विशेष प्रतिभा के कारण ये गुजरात भेजे गए।
अकबर के शासन के २७वें वर्ष में इन्हें मुख्य अमात्य के पद पर नियुक्त किया गया। अपनी मृत्यु के कुछ मास पूर्व सन् १५८९ में इन्होंने बादशाह से अपने जीवन का अंतिम काल गंगातट पर जाकर ईश-चिंतन में बिताने की स्वीकृति ले ली और प्रस्थान भी कर दिया किंतु बादशाह ने इनकी सेवा को अनिवार्य समझकर इन्हें वापस बुला लिया। उसी वर्ष इनका देहांत हो गया।
इनके विषय में यह विख्यात है कि वे राज्यकार्य एवं सैन्य प्रबंध में बहुत दक्ष थे। भूमि के वितरण और नाप के प्राचीन नियमों में इन्होंने महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। वर्तमान भारतीय माल विभाग के अधिकतर नियम टोडरमल के नियमों पर ही आधारित हैं।