टोकियो स्थिति : ३५ ४१ उ. अ. तथा १३९ ४५ पू. दे.। इसका प्राचीन नाम येडो (Yedo) है। हॉन्शू द्वीप के पूर्वी केंद्रीय तट पर टोकियो खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी सिरे पर सुमिडा (Sumida) नदी के मुहाने पर स्थित जापान की राजधानी तथा शैक्षिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और प्रशासनिक केंद्र होने के साथ ही उद्योग का भी केंद्र है। इसकी गणना विश्व के बड़े बड़े नगरों में होती है। इसका क्षेत्रफल २२० वर्ग मील है। यहाँ का वार्षिक माध्य ताप लगभग १४ सें० तथा वर्षण लगभग ६४'' होता है। सर्वाधिक वर्षा सितंबर में होती है और दिसंबर का महीना सबसे सूखा बीतता है। स्थलाकृति के आधार पर इसके दो भाग हैं, अध़ित्यका जिसे यामानोटे (Yamanote) कहते हैं तथा उपत्यका जिसे शितामाची (Shitamachi) कहते हैं। अधित्यका वाले भाग में ५० से लेकर १३० फुट तक ऊँची पहाड़ियाँ हैं। निम्नतर भूभाग सुमिडा नदी के दोनों ओर बसा हुआ है।

टोकियो में भूकंप अक्सर आया करते हैं। १९२३ ई० के भूकंप ने नगर के बहुत से भाग को ध्वस्त कर दिया था, जिसका फिर से आधुनिक शैली में निर्माण किया गया। उथले बंदरगाह को इतना गहरा बना दिया गया है कि ६,००० टन तक के जहाज गोदी (dock) में जा सकें। इससे बड़े जहाज यहाँ से १८ मील दूर स्थित बंदरगाह योकोहामा की गोदी में जाते हैं। सुमिडा नदी काफी चौड़ी है लेकिन गहरी न होने के कारण नौपरिवहन के अयोग्य है।

विगत विश्वयुद्ध में टोकियो नगर पर कई बार बमबारी हुई, जिससे इसकी बड़ी क्षति हुई। टोकियो विश्वविद्यालय शिक्षाकेंद्र के रूप में विख्यात है। यहाँ की जनसंख्या ५३,८५,०७१ (१९५४) है। (माधवाचार्य)