टोंक १. जिला, क्षेत्रफल २,७५६ वर्ग मील, प्रति वर्ग मल घनत्व १८० मनुष्य। इसके उत्तर में जयपुर, दक्षिण में बँदी, पूर्व में सवाईमाधोपुर, दक्षिण-पश्चिम में भीलवाड़ा तथा पश्चिम में आमेर जिले हैं। जिले की मुख्य उपज गेहूँ, मक्का, जौ तथा ईख हैं। बनास नदी पर विशालपुर में बाँध बनाकर जिले के लगभग दो लाख एकड़ भूमि को सिंचित करने की योजना कार्यान्वित हो रही है। प्रशासन के लिये जिला दो उपमंडलों (टोंक एवं मलपुरा) तथा दूनी (क्षेत्रफल ४७० वर्ग मील), मलपुर (६५५ वर्ग मील), टोड़ा रायसिंह (३१३ वर्ग मील), अलीगढ़ (३५६ वर्ग मील), निवई (३९७ वर्ग मील) तथा टोंक (५७४ वर्ग मील) नामक छह तहसीलों में बँटा है। १९६१ की जनगणनानुसार जनपद में टोंक के अतिरिक्त मलपुरा (१०,६२२), निवई (८,३१७) उनियरा (५,७६०) तथा देवली (५,२७४) छोटे केंद्र हैं।

२. स्थिति : २६° १०¢ उ. अ. तथा ७५° ४८¢ पू. दे.। टोंक जिले का प्रशासनिक केद्र है। यह जयपुर नगर से राजमार्ग पर ६०मील दक्षिण तथा बनास नदी के दाएँ दो मील दक्षिण स्थित है। निर्माण की दृष्टि से नगर के दो भाग हैं-एक प्राचीन, दूसरा अर्वाचीन। प्राचीन भाग के चतुर्दिक प्राचीर निर्मित है। नीची पहाड़ी ढाल पर बसने के कारण यह विशेष सुंदर लगता है और घना आबाद है। भाग दक्षिण में फैला है जिसके विभिन्न भाग विभिन्न नवाबों द्वारा स्थापित किए गए हैं। यह अधिक खुला है। दक्षिण में भूमगढ़ नामक किला स्थित है। रेलमार्ग से दूर होने के कारण नगर उन्नतिशील नहीं है।

२५ मार्च, १८४८ ई० में राजस्थान में विलयन के पहले टोंक नवाबी राज्य क्षेत्रफल २,५५३ वर्ग मील, जो छह अलग अलग टुकड़ों, अलीगढ़, निंवहेरा, पिखा, छब्रा, तथा सिरोंज को समाहित करके बना था। टोंक राज्य का संस्थापक दुर्नाम लुटेरा अमीरखाँ पिंडारी था। (काशीनाथ सिंह)