टेल्यूरियम (Tellurium) आवर्त सारणी के छठे मुख्य समूह का तत्व है। गंधक समूह के तत्वों में इसका तीसरा स्थान है। टेल्यूरियम के आठ स्थायी समस्थानिक हैं, जिनकी द्रव्यमानसंख्या १२०,१२२,१२३, १२४,१२५,१२६,१२७,१२८ तथा १४० है। इनके अतिरिक्त ११८, ११९, १२१,१२५, १२७, १२९, १३१, १३३, १३४ एवं १३५ द्रव्यमानसंख्यावाले अस्थायी समस्थानिक भी कृत्रिम साधनों से बनाए गए हैं।

सन् १७९८ में क्लापरोट (Klaproth) ने ट्रैंसिलवेनिया (अफ्रीका) के स्वर्ण अयस्क में एक नए तत्व की खोज की और उसका नाम टेल्यूरियम रखा। १८३२ ई. में स्वीडन के प्रसिद्ध वैज्ञानिक बर्ज़ीलियस ने इसके रासायनिक गुणों की जाँच की।

टेल्यूरियम अधिकतर लौह, ताम्र, सीस, रजत, स्वर्ण और बिस्मथ के टेल्यूराइड के रूप में पाया जाता है। विभिन्न अयस्कों में इसकी मात्रा न्यून रहती है। टेल्यूरियम डाई ऑक्साइड टे (Te O2) मिश्रित अवस्था में भी कभी कभी मिलता है, जैसे लौ (टे) ४ हा[Fe2 (TeO3)3.4H2 O], टे लो औ (Te Fe O4) आदि। टेल्यूरियम के अयक्स सोवियत रूस, उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका, स्वीडन, मध्य यूरोप तथा जापान में पाए जाते हैं। विद्युद्रसायन विधि से ताम्र के शोधन के समय टेल्यूरियम प्राय: उपजात के रूप में प्राप्त होता है। ताम्र के शोधन के समय टेल्यूरियम प्राय: उपजात के रूप में प्राप्त होता है। ताम्र धनाग्र के नीचे एकत्र अपद्रव्यों में टेल्यूरियम के साथ सेलीनियम, रजत, स्वर्ण, आदि भी रहते हैं। एक विधि के अनुसार, अशुद्ध मिश्रण पर सोडियम हाइड्रोक्साइड से क्रिया करते हैं। तत्पश्चात् विलेय पदार्थ को अलग कर अम्ल से उदासीन करते हैं। इस प्रकार टेल्यूरियम डाइऑक्साइड प्राप्त होता है। इसके अवकरण से टेल्यूरियम तत्व मिलता है।

टेल्यूरियम भंगूर, चमकदार, श्वेत, धात्विक तत्व है। इसके कुछ गुणधर्म ये हैं: संकेत टे (Te); परमाणुसंख्या ५२, परमाणुभार १२७.६; गलनांक ४५० सें०, क्वथनांक १,३९० सें., घनत्व ६.२४४ ग्राम प्रति घ. सेमी.। वाष्पीकृत टेल्यूरियम में उसके अणु टे2 (Te2) के रूप में रहते हैं। टेल्यूरियम में धातु तथा अधातु दोनों के गुण वर्तमान हैं। यह दो, चार, और छ: संयोजकता के यौगिक बनाता है। टेल्यूरियम के तीन ऑक्साइड ज्ञात हैं : टेल्यूरियम मोनोऑक्साइड, टे (Te O); टेल्यूरियम डाइऑक्साइड, टे2 (Te O2), और टेल्यूरियम डाइऑक्साइड, टे3 (Te O3) को निर्वात में २०० सें. तक गरम कने पर टेल्यूरियम मोनोऑक्साइड मिलेगा। टेल्यूरियम बेसिक नाइट्रेट, २ टे2 हा ना औ3 (2 Te O2 H NO6), को गरम करने पर डाइऑक्साइड मिलता है। ऑर्थोटेल्यूरियम अम्ल, हा6 टे6 (H6Te O6) को ३०० -३६० सें ताप पर रखने से ट्राइऑक्साइड बनता है।

टेल्यूरियम अम्लीय गुण के कारण अनेक अम्ल बनाता है, जिनमें ऑर्थोंटेल्यूरिक अम्ल, (हा6 टे6) (H6 Te O6), एलोटेल्यूरिक अम्ल, हा2 टे4 (H2 Te O4), तथा टेल्यूरस अम्ल हा2 टे3 (H2 Te O3), प्रमुख हैं।

ऐल्यूमिनियम टेल्यूराइड, ए2 टेल३ (Al2 Te3), पर जल की क्रिया द्वारा हाइड्रोजन टेल्यूराइड, हा2 टे (H2 Te), बनता है। इसमें अवकरण गुण तथा अम्लीय गुण वर्तमान हैं। हाइड्रोजन टेल्यूराइड विषाक्त पदार्थ है, जिसकी गंध अरुचिकर होती है। यह क्षार की क्रिया से टेल्यूराइड लवण बनाता है।

टेल्यूरियम के अनेक हैलाइड ज्ञात हैं, तथा डाइक्लोराइड, टे क्लो2 (Te Cl2), डाइब्रोमाइड टे2 (Te Br2), डाइब्रोमाइड, टे ब्रो2 (Te Br2), तथा डाइआयोडाइड, टे2 (Te l2), जो साधारण ताप पर ठोस पदार्थ हैं। इसके टेट्राक्लोराइड, टे क्लो4 (Te Cl4), और टेट्राब्रोमाइड टे ब्रो4 (Te Br4), भी ठोस पदार्थ हैं। फलोरीन की अभिक्रिया द्वारा, हेक्साफलोराइड, टे फ्लो6 (Te F6), बनता है, जो साधारण ताप पर गैस है (क्वथनांक ३८.६ डिग्री सें.), टेल्यूरियम के अनेक कार्बनिक यौगिक भी प्राप्त हैं, जो ऐलिफैटिक (aliphatic) तथा ऐरोमैटिक (aromatic) यौगिकों द्वारा बनते हैं।

उपयोग - टेल्यूरियम का उपयोग कुछ मिश्रधातुओं के निर्माण में होता है राँगे में ०.०५ प्रतिशत भाग टेल्यूरियम मिलाने पर वह संक्षरण प्रतिरोधक हो जाता है। हाइड्रोजनीकरण तथा पेट्रोल भंजन अभिक्रियाओं में टेल्यूरियम का उत्प्रेरक के रूप में उपयोग हुआ है। रबर में लगभग १ प्रतिशत टेल्यूरियम मिलाने पर वह तापसह हो जाता है। टेल्यूरियम का उपयोग काच तथा पोर्सलेन को रँगने के उद्योग में हुआ है। इसको विभिन्न रूपों में मिलाने पर नीला, भूरा, लाल या बैगनी रंग आ जाता है। टेल्यूरियम विषैला पदार्थ है। ऐसा अनुमान है कि दो ग्राम सोडियम टेल्यूराइड खाने पर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। (रमेशचंद्र कपूर)