टेलर, जनरल सर ऐलेक्जैंडर रायल सैनिक दल के बंगाल इंजीनियरी शाखा के सदस्य थे। अंग्रेजी राज्यकाल में ग्रैंड ट्रंक रोड के लाहौर से पेशावर तक के भाग को बनवाने के कारण, ये चिरस्मरणीय हैं। ये बड़े साहसी और परिश्रमी थे। सन् १८५७ में तीन दिन लगातार घुड़सवारी कर, ये रावलपिंडी से दिल्ली पहुँचे और कश्मीरी दरवाजे के घेरे में तोपों की मोरचाबंदी का कार्य बड़ी कुशलता से संभाला।

भारतीय बड़ी नदियों पर नावों का पुल बनाने के लिए इन्होंने एक मानक अभिकल्प तैयार किया, जिसका उपयोग अब तक पंजाब में होता है। बड़े नालों पर इन्होंने लकड़ी की कैंचियों, या पत्थर और ईटं की डाटों के पुल इतने बड़े दरों के बनाए जितने उस समय तक भारत में कहीं नहीं बने थे। कलकत्ता और मद्रास के किले इनकी अन्य महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं। सन् १८८० से १९१६ तक ये इंग्लैंड में कूपर हिल इंजीनियरिंग कालेज के अध्यक्ष रहे।

(बृजमोहनलाल साहनी)