टार्बाल्डसेन बेर्तेल (१७७०-१८४४) डेनमार्क के इस शिल्पकार का जन्म कोपनहेगन के एक गरीब परिवार में हुआ। बचपन से वह आर्ट स्कूल में जाता रहा और बाद में विशेष अध्ययन के लिये इटली चला गया। वहाँ २३ साल रहने पर अपनी नगरी में लौटा। उसे सन् १८१९ में ईशु और १२ शिष्यों की विशाल मुर्तियाँ बनाने का अबसर प्राप्त हुआ। ट्रिनिटी कॉलेज में रखी बायरन की शिल्पाकृति इसी ने बनाई। यूरोप के प्रख्यात भवनों और चर्चों में इसकी कृर्तियाँ रखी है। यह अपने जीवनकाल में ही अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका था। इसकी शैली निर्मणात्मक न होकर अनुकरणात्मक थी तथा उसमें प्राचीन ग्रीक और रोमन शैलियों की विशेषताएँ थीं। (भाऊ समर्थ)