झलाइर् कच्ची और पक्की दो प्रकार की होती है। कच्ची झलाई को सोल्डरिंग (soldering) और पक्की झलाई को ब्रेजिंग (Brazing) कहते हैं। कच्ची झलाई निम्न ताप पर और पक्की झलाई अपेक्षाकृत उच्च ताप पर संपन्न होती है। झलाई में मिश्र धातुओं का उपयोग होता है, जिनका द्रवणांक निम्न होता है। जोड़ने में किसी फ्लक्स या लाग की आवश्यकता होती है, जो जोड़ने में सहायता करता है। विभिन्न धातुओं को जोड़ने के लिये विभिन्न मिश्रधातुएँ और लाग उपयोग में आते हैं। मिश्रधातुओं को तैयार करने में धातुओं का शुद्ध होना आवश्यक है, अन्यथा झलाई ठीक नहीं होती।
लाग, मिश्रधातुओं तथा झाली जानेवाली धातुओं की सूची लेख के अंत में सारणी १. में दी है।
झलाई विधि -- झलाई में गरम करने की आवश्यकता पड़ती है। इसे लिये स्टोव, या ताँबे की कइया, उपयुक्त होती है। कइया बनाने के लिये लोहे के सरिए के एक सिरे पर छेनीनुमा आठ से दस आैंस भार का ताँबे का मोटा टुकड़ा जड़ा रहता है। दसरे सिरे पर काठ की मूठ लगी रहती है। तँबे का टुकड़ा कलई किया हुआ रहता है, अन्यथा काम ठीक से नहीं देता। किसी ईटं के टुकड़े पर कइये को हल्का सा रगड़ कर मिट्टी आदि छुड़ा ली जाती है और उस निर्धूम आग पर उपयुक्त ताप तक गरम किया जाता है। अनुभव से सही ताप का पता लगता है। कम गरम रहने पर झलाई की मिश्रधातु पिघलकर चिपकती नहीं और अधिक गरम होने से राँगा इतना गल जात है कि कइये के ऊपर उठते ही राँगा बहकर नीचे आ जाता है।
ऐल्यूमिनियम पर कच्ची झलाई करना कठिन होता है। इसके कई कारण हैं। ऐल्यूमिनियम को ऊँचे ताप तक गरम करना होता है। ऐल्यूमिनियम राँगे में कम और कठिनता से घुलता है। झलाई के ताप पर ऐल्यूमिनियम की सतह पर एक अॅक्साइड बनता है, जो तापरोधी होता है। ऐल्यूमिनियम का लंबप्रसार गुण पर्याप्त ऊँचा है जब कि टाँके का कम। ऐल्यूमिनियम के लिये विशेष प्रकार की मिश्रधातुएँ बनाई जाती हैं जिनका ब्योरा निम्नांकित है :
टिन |
जस्ता |
चाँदी |
ऐल्यूमिनियम |
ताँबा |
बिस्मथ |
फॉस्फरटिन |
कैडमियम |
सीसा |
ऐंटीमनी |
लाग |
७२.५ |
२५ |
- |
१.५ |
- |
- |
१ |
- |
- |
- |
* |
९० |
- |
- |
- |
९ |
१ |
- |
- |
- |
- |
स्टीयरिन |
३० |
२० |
- |
- |
- |
- |
- |
५० |
- |
- |
� |
६५ |
२७ |
५.७५ |
२.२५ |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
� |
६ |
७७.५ |
- |
३.२५ |
- |
- |
- |
- |
३.२५ |
- |
� |
- |
९० |
- |
५ |
- |
- |
- |
- |
- |
५ |
� |
८० |
१७ |
- |
२.५ |
- |
- |
.७५ |
- |
- |
- |
* |
७५ |
२२ |
- |
२.२५ |
- |
- |
.५ |
- |
- |
- |
* |
७० |
२५ |
- |
३ |
- |
- |
२ |
- |
- |
- |
* |
- |
९० |
- |
६ |
४ |
- |
- |
- |
- |
- |
� |
* चिह्नित मिश्रधातुओं के लिये लाग की आवश्यकता नहीं होती।
पीतल की टँकाई -- दो या अधिक धातुखंडों को स्पेल्टर की एक पतली तह लगाकर आपस मे जोड़ने को टाँका लगाना कहते हैं। झलाई से यह इस बात में भिन्न है कि इसपर जोड़नेवाली वस्तुएँ काफी ऊँचे ताप तक गरम तो की जाती हैं लेकिन वे द्रवित या अर्धद्रवित नहीं होती। इस प्रकार का जोड़ अधिक झटका या बल नहीं सहन कर सकता। स्पेल्टर में मुख्यतया ताँबा और जस्ता रहते हैं। ताँबे की अधिकता से द्रवणांक ऊँचा होता है। चाँदी मिलाने से कठोरता बढ़ती है। सारणी २. में स्पेल्टर का संघटन, कठोरता और रंग दिया जा रहा है तथा सारणी ३. में टाँकों की मिश्रधातुएँ एवं लाग दिए गए हैं।
सारणी १
लाग, मिश्रधातुओं तथा झाली जानेवाली धातुओं की सूची
� | � |
मिश्रधातु |
� |
प्रतिशत |
झाली जाने वाली धातु |
लाग |
राँगा |
सीसा |
अन्यधातु |
पीतल |
जिंक क्लोराइड, एमोनिया जिंक क्लोराइड अथवा राल |
६६ |
३४ |
- |
गनमेटल |
'' |
६३ |
३७ |
- |
ताँबा |
'' |
६० |
४० |
- |
टीन की चादर |
जिंक क्लोराइड अथवा राल |
६४ |
३६ |
- |
जस्तीदार चादर |
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल |
५८ |
४२ |
- |
जस्ते की चादर |
'' |
५५ |
४५ |
- |
लोहा या इस्पात |
राल या चरबी |
५० |
५० |
- |
ब्रिटानिया धातु |
राल या चरबी |
२५ |
२५ |
५० बिस्मथ |
सोना |
जिंक क्लोराइड |
६७ |
३३ |
- |
चाँदी |
'' |
६७ |
३३ |
- |
सारणी २
स्पेल्टर का संघटन, कठोरता और रंग
प्रति शत मात्रा |
� | � | � | � | � |
ताबाँ |
जस्ता |
टिन |
सीसा |
कठोरता की कोटि |
रंग |
५८ |
२४ |
- |
- |
बहुत कठोर |
रक्तपीत |
५३ |
४७ |
- |
- |
कठोर |
'' |
४८ |
५२ |
- |
- |
मध्यम कठोर |
'' |
५४.५ |
४३.५ |
१.५ |
०.५ |
मध्यम |
'' |
३४ |
६६ |
- |
- |
आसानी से गलने वाल |
श्वेत |
४४ |
५० |
४ |
२ |
बहुत आसानी से गलने वाला |
भूरा |
५५ |
२६ |
१५ |
४ |
'' |
श्वेत |
श्
सारणी ३
टाँकों की मिश्रधातुएँ एवं लाग
प्रति शत मिश्रण |
� | � | � | � | � |
ताँबा |
जस्ता |
चाँदी |
सोना |
लाग |
झलने वाली धातुओ के नाम |
२२ |
७८ |
- |
- |
सुहागा |
मुलायम पीतल |
४५ |
५५ |
- |
- |
'' |
कठोर पीतल |
५० |
५० |
- |
- |
'' |
ताँबा |
२२ |
- |
११ |
६७ |
'' |
सोना |
२० |
१० |
७० |
- |
'' |
चाँदी |
५५ |
४५ |
- |
- |
क्यूप्रस ऑक्साइड |
ढला लोहा |
६४ |
३६ |
- |
- |
सुहागा |
लोहा और इस्पात |
३५ |
५६.५ |
- |
८.५ निकल |
- |
जर्मन सिल्वर |
[ओंo नाo शo]