जैलप (Jalap) मेक्सिको में उत्पन्न होनेवाली एक लता, एक्सोगोनियम जैलपा (Exogonium Jalapa), की जड़ को कहते हैं। यह भारत, लंका आदि में भी उपजाई जाती है। जड़ को पीसकर हलके बादामी रंग का चूर्ण तैयार किया जाता है। जैलप में एक प्रकर की राल होती है। इसका रेचक प्रभाव इसी राल के कारण होता है।
चिकित्सा में य १७वीं शताब्दी से प्रयुक्त हो रहा है। यह बड़ा प्रबल रेचक है। मात्रा अधिक हो जाने पर बहुत अधिक दस्त आ जाते हैं तथा स्थिति चिंताजनक हो सकती है।
इसका चूर्ण प्राय: एक ग्राम की मात्रा में दिया जाता है।
जैलप की राल भूरे लाल रंग के चमकदार थक्कों अथवा भूरे चूर्ण के रूप में मिलती है। इसका स्वाद तीक्ष्ण होता है। राल प्राय: १२५ मिलीग्राम की मात्रा में दी जाती है।
[मोहनलाल गुजराल]