जैकोबी, फ्रेडरिख़ हेनरिख़ १७४३-१८१९ जर्मन दार्शनिक। कांट का समकालीन था, किंतु कांट के विचारों का विरोध उसने यह मान कर किया कि 'निरपेक्ष आत्मपरक प्रत्ययवाद' से सत्य का बोध नही हो सकता। उसका मत था कि अनुभूति, विश्वास और निष्ठा से ही, जिनका चेतना से सीधा संबंध है, सत्य-बोध संभव है। 'बुद्धिवाद' (स्पिनोज़ा आदि) को भी उसने मान्यता नहीं दी। उसने स्पिनोज़ा, ह्यूम और फिक्ते के दार्शनिक विचारों पर समीक्षाएँ लिखी हैं।